अगर आपने धारावाहिक रामायण देखी होगी या पढ़ी होगी तो जटायु की स्मृतियां आपके जेहन में होंगी। वहीं जटायु जिसने मां सीता की रक्षा करते हुए रावण से लड़ाई लड़ी थी और घायल होकर अपने प्राण त्यागे थे। केरल के कोल्लम में स्थित जटायु नेचर पार्क आपको जटायु के उसी वीर और साहसी कारनामे को करीब से दिखाता है।
जब श्रीराम और लक्ष्मण सीताजी की खोज कर रहे थे, तभी उन्होंने जटायु को मरणासन्न अवस्था में पाया। जटायु ने ही राम को बताया कि रावण सीता का हरण करके लंका ले गया है और बाद में उसने प्राण त्याग दिये। फिर भगवान राम और उनके छोटो भाई लक्ष्मण ने उसका दाह संस्कार और किया।
कहाँ और कितने में बना है ये पार्क ?
इस पार्क में जटायु का सबसे बड़ा स्कल्पचर बनाया गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यही वो जगह है जहां सीता का अपहरण कर ले जाते रावण से लड़ते हुए पक्षीराज जटायु गिरे थे। यहीं पर उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे। इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्कल्पचर बताया जा रहा है। पहाड़ पर इसे 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊंचा बनाया गया है। इसे बनाने में 7 साल का वक्त लगा है। कोल्लम से 28 किमी दूर बने इस नेचर पार्क पर केरल सरकार ने 100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।क्या है जटायु की कहानी ?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जटायु अरुण देवता के पुत्र थे। इनके भाई का नाम सम्पाती था। 'रामायण' में सीताजी के हरण के प्रसंग में जटायु का उल्लेख प्रमुखता से हुआ है। जब लंका का रावण सीता का हरण करके आकाशमार्ग से पुष्पक विमान में जा रहा था, तब जटायु ने रावण से युद्ध किया। युद्ध में रावण ने जटायु के पंख काट डाले, जिससे वह मरणासन्न स्थिति में पहुंचकर पृथ्वी पर गिर पड़े।जब श्रीराम और लक्ष्मण सीताजी की खोज कर रहे थे, तभी उन्होंने जटायु को मरणासन्न अवस्था में पाया। जटायु ने ही राम को बताया कि रावण सीता का हरण करके लंका ले गया है और बाद में उसने प्राण त्याग दिये। फिर भगवान राम और उनके छोटो भाई लक्ष्मण ने उसका दाह संस्कार और किया।