Stories

कल है मातंगी जयंती तो यहाँ पढ़िये कि मातंगी देवी की आराधना करना क्यों है इतना फलदायी ? | Special Post on Matangi Jayanti



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 

मातंगी जयंती इस वर्ष 29 अप्रैल को मनाई जाएंगी। देवी मातंगी दसमहाविद्या में नवीं महाविद्या हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो कोई भक्त माता की पूजा अर्चना भक्ति भाव से करता है, उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उसका दाम्पत्य जीवन ताउम्र सुखी और समृद्ध रहता है।

जाप करने से दुखों से मुक्ति :



मातंगी देवी की भक्ति करने से भक्तों को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।  ऐसा कहा जाता है कि मतंग भगवान शिव का एक नाम है, इनकी आदिशक्ति देवी मातंगी हैं। चार भुजाधारी मां का रूप श्याम वर्ण और मस्तक पर चन्द्रमा विराजमान है। मातंगी देवी को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए वे लाल रंग के ही वस्त्र और आभूषण ही पहनती है।  देवी अमूल्य रत्नों से युक्त रत्नमय सिंहासन पर बैठी हैं। अन्य स्वरूपों में देवी कमल के आसन तथा शव पर भी विराजमान हैं। देवी ने अपने दाए हाथों में वीणा तथा मानव खोपड़ी धारण कर राखी हैं तथा बाएं हाथों से खडग़ धारण करती हैं तथा अभय मुद्रा प्रदर्शित करती हैं।  देवी की आराधना बौद्ध धर्म में मातागिरी नाम होती हैं।

ऐसे हुआ माँ  का जन्म :


एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा सती से मिलने के लिए कैलाश पर्वत गए। भगवान विष्णु, अपने साथ खाने की कुछ सामग्री अपने साथ ले गए तथा शिव जी को भेंट की। शिव और सती जी जब उस सामग्री को ग्रहण कर रहे थे, तब उसका कुछ भाग पृथ्वी पर गिर गया। उन गिरे हुए भोजन के भागों से एक श्याम वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया, जो मातंगी नाम से विख्यात हुई। देवी का ये अवतार उच्छिष्ट भोजन से हुआ, इसलिए देवी का सम्बन्ध उच्छिष्ट भोजन सामग्रीओ से हैं तथा इन्हीं उच्छिष्ट वस्तुओं से देवी की अराधना होती हैं। देवी उच्छिष्ट मातंगी नाम से जानी जाती हैं।


इसके अलावा हिन्दू ग्रंथो में मां मातंगी के जन्म के संबंध में एक ओर पौराणिक कथा का उल्लेख किया गया है। ऐसा बताया जाता है कि एक बार मातंग मुनि ने, सभी जीवों को वश में करने के लिए घने जंगल में श्री विद्या त्रिपुरा की आराधना की। मातंग मुनि के कठिन साधना से देवी त्रिपुर सुंदरी काफी खुश हुई और उन्होंने ने अपने नेत्रों से एक श्याम वर्ण की सुन्दर कन्या का रूप धारण किया। इन्हें ही पृथ्वी पर देवी मातंगी के रूप में पूजा जाता हैं।

कन्या की करें पूजा :


मातंगी जयंती में न सिर्फ भक्त मां की पूजा अर्चना करें, बल्कि कन्याओं को भी भोजन कराए। ऐसा कहा जाता है, जो भी भक्त इस दिन कन्याओं की पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं होती है। इस दिन कन्याओं को लाल चुनरी जरूर भेंट करनी चाहिए, क्योंकि मां को लाल रंग अति प्रिय है।



About Anonymous

MangalMurti.in. Powered by Blogger.