*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
हमारे समाज में दो तरह के लोग है। एक वो है जो पूरी तरह से ईश्वर की शक्ति पर विश्वास करते हैं और अपने जीवन का हर काम ईश्वर की पूजा-अर्चना से शुरू करते हैं और दूसरे वो, जो ईश्वर को सिर्फ पत्थर की मूर्ति समझते हैं। उन्हें ईश्वर की भक्ति पर विश्वास नहीं है। लेकिन हमारे देश में कई ऐसे मंदिर है, जहाँ हमने ईश्वर के चमत्कार को साक्षात होते हुए भी देखा है।
ऐसा ही एक मंदिर मध्यप्रदेश में है। मालवा जिले की तहसील मुख्यालय नलखेड़ा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर कालीसिंध नदी के किनारे प्राचीन गडिय़ाघाट वाली माताजी का मंदिर स्थित है। जहां आए दिन भक्तों को चमत्कार होते हुए नजर आते हैं। दरअसल इस मंदिर में घी और तेल के नहीं बल्कि पानी के दीपक जलते हैं। यहाँ हर दिन लाखों संख्या में भक्त आते हैं पानी के दीपक मां के चरणों में अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामना को पूरी करने की अर्जी लगाते हैं।
तब से आज तक इस मंदिर का दीपक कालीसिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है । यहाँ आने वाला श्रद्धालु अपने साथ तेल और घी नहीं बल्कि नदी का पानी लाते है । यहाँ पर दीपक में पानी डालने से यह किसी तरल पदार्थ की तरह चिपचिपा हो जाता है जिस कारण दीपक लगातार जलता रहता है। इतना ही नहीं, जहाँ हर साल लाखों संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं, जो मां के इस चमत्कार को देखकर अपना शीश झुका लेते हैं।
गडिय़ाघाट के इस मंदिर में बरसात में दिया नहीं जलता है क्योंकि बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढऩे से यह मंदिर पूरी तरह पानी में डूब जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पहले इस मंदिर में केवल स्थानीय श्रद्धालु ही आया करते थे, लेकिन पिछले पांच सालों से जब से पानी से यहां दीपक जलने लगे हैं, तब से दूर दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। मां के चमत्कार को देखकर सोच में पड़ जाते है । कई वैज्ञानिक भी यहाँ आ चुके है, लेकिन वे पानी से दीपक क्यों जलता इस बात पर अपना कोई वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं।
हमारे समाज में दो तरह के लोग है। एक वो है जो पूरी तरह से ईश्वर की शक्ति पर विश्वास करते हैं और अपने जीवन का हर काम ईश्वर की पूजा-अर्चना से शुरू करते हैं और दूसरे वो, जो ईश्वर को सिर्फ पत्थर की मूर्ति समझते हैं। उन्हें ईश्वर की भक्ति पर विश्वास नहीं है। लेकिन हमारे देश में कई ऐसे मंदिर है, जहाँ हमने ईश्वर के चमत्कार को साक्षात होते हुए भी देखा है।
कहाँ है ये मंदिर ?
पाँच साल पहले हुआ चमत्कार :
इस मंदिर में पांच साल पहले से ही पानी के दीपक जलने लगे हैं। दरअसल इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। यहाँ के पंडित सिद्धूसिंह जी महाराज के सपने में एक दिन गडिय़ाघाट वाली माताजी प्रकट हुई। उन्होंने महाराज से कहा कि मेरे यहाँ तेल और घी के नहीं बल्कि पानी के दीपक से पूजा अर्चना करो। सुबह उठकर पंडित जी ने ये बात सबको बताई, लेकिन किसी ने भी उनकी बात पर विश्वास नहीं किया। बाद में पुजारी ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए पानी से दीपक जलाया तो वह दीपक प्रज्वल्लित हो उठा।तब से आज तक इस मंदिर का दीपक कालीसिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है । यहाँ आने वाला श्रद्धालु अपने साथ तेल और घी नहीं बल्कि नदी का पानी लाते है । यहाँ पर दीपक में पानी डालने से यह किसी तरल पदार्थ की तरह चिपचिपा हो जाता है जिस कारण दीपक लगातार जलता रहता है। इतना ही नहीं, जहाँ हर साल लाखों संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं, जो मां के इस चमत्कार को देखकर अपना शीश झुका लेते हैं।
बरसात में नहीं होती है पूजा अर्चना :
गडिय़ाघाट के इस मंदिर में बरसात में दिया नहीं जलता है क्योंकि बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढऩे से यह मंदिर पूरी तरह पानी में डूब जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पहले इस मंदिर में केवल स्थानीय श्रद्धालु ही आया करते थे, लेकिन पिछले पांच सालों से जब से पानी से यहां दीपक जलने लगे हैं, तब से दूर दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। मां के चमत्कार को देखकर सोच में पड़ जाते है । कई वैज्ञानिक भी यहाँ आ चुके है, लेकिन वे पानी से दीपक क्यों जलता इस बात पर अपना कोई वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं।