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चमत्कार को नमस्कार : हजारों लीटर पानी भरने के बाद भी खाली रहता है ये घड़ा | This pot is always empty even pouring gallons of water



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 

अगर आपको एक आधा फीट गहरे और चौड़े घड़े पानी भरने को कहा जाए, तो कितनी बाल्टी पानी की जरूरत पड़ेगी। एक, दो, तीन या फिर ज्यादा से ज्यादा दस बाल्टी। शायद एक-दो बाल्टी में घड़ा भर जाएगा, लेकिन राजस्थान के पाली जिले में शीतला माता के मंदिर में आधा फीट गहरे और चौड़े घड़े को श्रद्धालुओं को पानी भरने में पसीना आ जाता है। यहां श्रद्धालुओं को साल में दो बार ये चमत्कार देखने को मिलता है, जो भी ये चमत्कार देखता है, उसे विश्वास ही नहीं होता है। हजारों लीटर पानी डालने के बावजूद ये घड़ा खाली ही रहता है।

भक्त लेकर आते हैं पानी के कलश  :


इस मंदिर में ये चमत्कार साल में दो बार ही श्रद्धालुओं को देखने को मिलते हैं। एक तो शीतला अष्टमी को और दूसरे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन। ये मंदिर करीब आठ सौ साल पुराना है। बताया जाता है कि इस घड़े में कितना भी पानी भरा जाए लेकिन यह कभी पूरा नहीं भरता है। जब इस मंदिर के घड़े को खोला जाता है, तो लोग अपने साथ प्रसाद और पानी का कलश भी भरकर लाते हैं। हजारों संख्या में इस दिन श्रद्धालु आते हैं और पानी का कलश इस घड़े में डालते हैं, लेकिन ये घड़ा तब भी नहीं भरता है।

वैज्ञानिकों के लिए अनोखी पहल :

लगातार पानी डालने के बावजूद घड़े का पानी कहां जाता है। इस बात का पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं। अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सारा पानी एक राक्षस पी जाता है। इस वजह से घड़ा नहीं भरता है।
बताया जाता है कि जब तक पुजारी माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ाता हैं तो घड़ा पूरा भर जाता है। दूध का भोग लगाकर इसे पत्थर लगाकर बंद कर दिया जाता है। वैसे तो सालभर ही इस मंदिर में भक्तों का मेला लगा रहता है, लेकिन इन दो दिन लोगों को पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती है। हजारों की तादाद में भक्त इस अनोखे घड़े को देखने आते हैं। इतना ही नहीं विदेशी श्रद्धालुओं की भी यहां अच्छी खासी भीड़ होती है।  इन दोनों दिन गांव में मेला लगाया जाता है।

ये है कहानी :


इस मंदिर का निर्माण क्यों हुआ, इसके पीछे एक रोचक कहानी है। कहा जाता है। कि आठ सौ साल पहले बाबरा नाम का राक्षस था। इस राक्षत ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा था। जब भी किसी ब्राह्माण के घर में शादी होती तो ये राक्षस दूल्हे को मार देता है। तब ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या की। इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आई। मां ने कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगी। शादी के समय माता ने घुटनों के नीचे दबाकर राक्षस को मार दिया। राक्षस ने शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है, इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया, तभी से यह पंरापरा चली आ रही है। ऐसा बताया जाता है कि ये घड़ा राक्षस की प्यास बुझाने के लिए खोला जाता है। इस लिए इसका सारा पानी वो राक्षस ही पी जाता है। 



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