indian festival

आज पूरे हिन्दुस्तान में मनाई जा रही है हनुमान जयंती आप कैसे कर रहे है हनुमान पूजन ? | What to do on Hanuman Jayanti?



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 

शिव के अवतार है अंजली पुत्र हनुमान :


देशभर में ११ अप्रेल को हनुमान जयंती श्रद्धा पूर्वक मनाई जा रही है। कहा जाता है कि इस दिन अगर सच्चे मन से हनुमान जी भक्ति की जाए, तो हर मनोकामना शीघ्र पूरी हो जाती है। यह दिन चैत्र पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाए तो बुरी शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होता है। ध्यान रहें इस दिन हनुमान जी के साथ-साथ श्री राम की भी पूजा अर्चना जरूर करें, क्योंकि हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त थे। अगर राम जी प्रसंन हो गए तो हनुमान जी अपने आप प्रसन्न हो जाएंगे।

ऐसे करें पूजा अर्चना :


इस दिन सवेरे उठकर हनुमान जी के मंदिर जाए। उन्हें चोला और प्रसादी चढ़ाएं।  इसके साथ ही किसी पीपल के पेड़ से 11 पत्ते तोड़ लें।  पत्ते खंडित नहीं होने चाहिए। इन 11 पत्तों पर चंदन से श्रीराम का नाम लिखें।  उसके बाद राम नाम लिखे हुए इन पत्तों की एक माला बनाएं। इस माला को किसी भी हनुमानजी के मंदिर जाकर वहां बजरंगबली को अर्पित करें। इस उपाय को करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होगी।
अगर आप पैसों की तंगी से परेशान है तो इस दिन  एक बड़ का पत्ता लें और उसपर चंदन से श्रीराम लिखें और इस पत्तें को अपने पर्स में रखें। इससे पैसों की तंगी नहीं होगी। साथ ही घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। इस दिन गरीब लोगों को प्रसादी वितरित करें। इससे भी हनुमान जी खुश होते हैं।

इसलिए मनाई जाती है हनुमान जयंती :


ये उत्सव क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे भी एक कथा है। माता अंजनी इंद्र के दरबार में अप्सरा थीं। उनका नाम पुंजिकस्थला था। वे स्वाभाव में काफी चंचल थी। एक बार उन्होंने एक ऋषि के साथ अभद्र व्यवहार कर दिया। इस बात से ऋषि को गुस्सा आ गया और उन्होंने उसे श्राप दिया कि जा तू वानरी बन जा। श्राप सुनकर पुंजिकस्थल ऋषि से क्षमा याचना करने लगी। तब ऋषि को उसपर दया आ गई और उन्होंने कहा तेरी कोख से एक ऐसे पुत्र का जन्म होगा, जिसकी वजह से तेरा नाम युगों युगों पर याद रखा जाएगा। इस श्राप से मुक्ति लेने के लिए इं्रद ने अंजलि को पृथ्वी भेज दिया, जहां उसका विवाह वानर राज केसरी से हुआ। कई सालों तक अंजनी को संतान सुख से वंचित रही। अंजना ने शिव की तपस्या की और उसे पुत्र रूप में हनुमान प्राप्त हुए, जो कि शिव के अवतार थे।  वे वानरदेव के रूप में इस धरती पर रामभक्ति और राम कार्य सिद्ध करने के लिए अवतरित हुए।  अंजनि के पुत्र होने के कारण ही हनुमान जी को आंजनेय नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है अंजना द्वारा उत्पन्न।  



About Anonymous

MangalMurti.in. Powered by Blogger.