*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर को शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगा में से एक माना जाता है। ये ज्योतिर्लिंग काफी प्राचीन है। ऐसा कहा जाता है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से न सिर्फ पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मोक्ष भी मिलता है। इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्या ने किया गया था। बताया जाता है कि औरंगजेब इस मंदिर को मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाना चाहता था, लेकिन वे अपने मनसूबे पर सफल नहीं हो पाया। रानी अहिल्या को शिव भगवान सपने में आए थे और उन्होंने ही उन्हें यहां एक मंदिर निर्माण करने को कहा। वे बाबा की भक्त थी।
सन १७७७ में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद सिख राजा रंजीत सिंह ने १८३५ में मंदिर के शिखर को सोने से चढ़वा दिया। मंदिर के अंदर एक गर्भगृह है, जहां चांदी से बना भगवान विश्वनाथ का ६० सेंटीमीटर शिवलिंग बना हुआ है। ये शिवलिंग काले पत्थर से निर्मित है। इस मंदिर में शिवजी स्वयं निवास करते हैं और अपने भक्तों और यहां रहने वाले लोगों की सहायता करते हैं। हर दिन यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की महिमा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है।
ये हैं कथा :
ऐसा बताया जाता है कि जब बाबा भोलेनाथ ने माता पार्वति से विवाह किया, इसके बाद वे कैलाश पर्वत जाकर रहने लगे। बाबा से दूर रहने के कारण माता पार्वती नाराज हो गई। पार्वती को नाराज देखकर शिवजी ने माता से कारण पूछा तब उन्होंने शिव जी से कहा कि वे उनके साथ रहना चाहती है। अपनी पत्नी की इस इच्छा को पूरी करने के लिए बाबा भोलेनाथ माता पार्वती के साथ काशी रहने लगे। वे यहां विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए। इसलिए काशी को शिव की नगरी कहा जाता है।
प्रलय से नहीं होगा कोई नुकसान :
ऐसा कहा जाता है इस मंदिर का प्रलय भी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। हमारे पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब प्रलय आएगी, उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी यहीं भूमि बतलायी जाती है। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने का कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे की रचना की।
आरती है खास :
यहाँ हर दिन भक्तों का मेला लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में यहाँ का नजारा देखने लायक होता है। पूरी काशी नगरी शिवमय हुई नजर आती है। विश्वनाथ मंदिर में पांच बार आरती की जाती है। ये आरती काफी मनमोहक होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए आता है, वे बाबा की आरती में जरूर हिस्सा लेता है।