*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
गुजरात में स्थित हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग। पुराणों को नागेश्वर को नागों का देवता माना जाता है। इस मंदिर का वैभव दूर-दूर तक फैला हुआ है। ऐसा कहा जाता है, जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आकर दर्शन करता है, वे अपने पापों से मुक्ति पाता है। इस मंदिर का पुन:निर्माण स्वर्गीय गुलशन कुमार ने किया था। उन्होंने इस मंदिर का कार्य सन 1996 में शुरू करवाया था, इस बीच उनकी हत्या हो गई। बाद में ये कार्य उनके परिवार ने पूरा कराया। उनकी मृत्यु हो जाने के कारण उनके परिवार ने इस मंदिर का कार्य पूर्ण करवाया।
ये है कथा :
बताया जाता है कि शिवजी का एक भक्त था। वे एक दिन समुद्र से कहीं जा रहा था। उस उसपर एक राक्षस ने आक्रामण कर दिया। राक्षस ने सभी लोगों सहित सुप्रिय का अपहरण कर लिया और अपनी पुरी में ले जाकर बन्दी बना लिया।
सुप्रिय भगवान शिव का भक्त था, इसलिए वे कारागर में शिवजी की भक्ति करने लगा, अन्य लोगों को भी उसने भक्ति के प्रति प्रेेरित किया। जब इस बारे में राक्षस को पता चला तो वे धमकाने के लिए जेल में पहुंचा। वे जोर-जोर से चिल्लाया, लेकिन सुप्रिय पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा और वे शिव भक्ति में लीन रहा।
इस बात पर राक्षस को बहुत गुस्सा आया और उसने सुप्रिय को मरवा देने का आदेश दिया। जब सुप्रिय शिवजी को स्मरण करने लगा तो शिवजी ने उसे कारगार में दर्शन दे दिए। कारागार में एक ऊंचे स्थान पर चमकीले सिंहासन पर स्थित भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में उसे दिखाई दिये। शंकर जी ने अपने पाशुपतास्त्र से सभी राक्षसों का नाश किया और भक्तों के कल्याण के लिए वहीं लिंग रूप में विराजमान हो गए।
कुछ रोचक बातें :
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक विशाल प्रतिमा है। जो मंदिर से दो किलोमीटर की दूरी पर ही नजर आती है।
- कहा गया है कि जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनता है, वे अपने सारे पापों से छुटकारा पाकर समस्त सुखों का भोग करता है। अंत में भगवान शिव के परम पवित्र दिव्य धाम को प्राप्त होगा।