*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
अब तक कई मंदिरों में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए ईश्वर को लड्डू, पेडे, बर्फी और फल-फूल का भोग लगाते आए हैं, लेकिन उज्जैन में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां भक्त अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मदिरा का भोग लगाते हैं। जी हां, ये मजाक नहीं बल्कि हकीकत है। हम बात कर कर रहे हैं उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर के बारे में। वैसे तो काल भैरव को मदिरा का ही भोग लगाया जाता है, लेकिन इस मंदिर की खासियत ये हैं कि जो भी मदिरा भगवान काल भैरव को चढ़ाई जाती है, उसका सेवन भी वे खुद करते हैं। भक्त अपने प्रसाद के रूप में मदिरा लेकर आता है, फिर उसे एक प्याले में डाला जाता है और बाबा के मुख के आगे उस प्याले को रखा जाता है, देखते ही देखते कुछ ही देर में प्याल में से मदिरा गायब हो जाती है।
यूँ हुआ मंदिर का निर्माण :
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार शिवजी के किसी निर्णय पर ब्रहृाा जी ने अपनी सहमति नहीं दिखाई और उन्होंने शंकरजी के विरुद्ध कुछ बोल दिया। इस बात से शिवजी नाराज हो गए और उनके त्रिनेत्र से भैरव का जन्म हुआ। भैरव ने गुस्से में ब्रहृाा जी का पांचवा शीश काट दिया जिसके कारण उन्हें ब्रहृाा हत्या का पाप लग गया। भैरव के ब्रहृाा जी हत्या दोष के निवारण के लिए विष्णुजी ने उन्हें पृथ्वी पर विचरण करने के लिए कहा। भैरव महाराज ब्रहृाा जी का कटा हुआ शीश लिए अपने काले श्वान पर सवार हो धरती पर विचरण करने लगे। विचरण करते हुए उज्जैन के काला अग्नि क्षिप्रा घाट पर पहुंचे, जहां उन्हें तपस्या करने से अपने पापों से मुक्ति मिली। तभी से यहां काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है। बाद में यहां मंदिर का निर्माण किया गया। ये मंदिर छह हजार साल पुराना है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक वाम तांत्रिक ने किया था। पहले इस मंदिर में सिर्फ तांत्रिक क्रियायें ही होती थी, लेकिन अब आम लोग भी मंदिर में आ जा सकते हैं।
दूर- दूर से आते हैं श्रद्धालु :
इस मंदिर में सालभर ही श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। यहां प्रसाद की दुकान पर फल, नारियल, फूल के साथ मदिरा की बोतल भी दी जाती है। जब बाबा मदिरा पान करते हैं तो आंखों पर विश्वास करना भी मुश्किल हो जाता है। देखते ही देखते मदिरा का सारा प्याला खाली हो जाता है।
नहीं लग सका पता :
यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि बाबा कब से मदिरा पान कर रहे हैं, इस बात की कोई जानकारी नहीं हैं। ऐसा बताया जाता है कि बहुत सालों पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने बाबा मदिरा पीते हैं या कोई और रहस्य है, इसके पीछे जानने की काफी कोशिश की थी। इसके लिए उसने प्रतिमा के आसपास काफी गहराई तक खुदाई भी करवाई थी, लेकिन वे कोई सुराग नहीं ढूढ़ पाए। इसके बाद वो अंग्रेज भी काल भैरव का भक्त बन गया।