*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
जो राशि शनि की साढ़ेसती और ढैय्या से ग्रसित होती है, उस राशि से संबंधित व्यक्ति को अपने जीवन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर काम में उससे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। ऐसे में उसे हर शनिवार शनिदेव पर तेल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। ऐसे करने से उसे शनि की साढ़े सती और ढैय्या से काफी राहत मिलती है। शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं, इसके पीछे भी हमारे शास्त्रों में कई कहानियों का जिक्र किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार रामयाण काल में शनि को अपनी शक्ति पर काफी घमंड हो गया था। उस समय देवतागण हनुमान जी के पराक्रम के चर्चे पर चारों तरफ हो रहे थे। जब शनि को हनुमान जी के बारे में पता चला तो उन्होंने हनुमान को युद्ध के लिए ललकारा। हनुमान जी शनिदेव से युद्ध नहीं करना चाहते थे, लेकिन शनि देव मानने को तैयार नहीं थे। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। हनुमानजी ने शनि को हरा दिया। इस युद्ध में शनिदेव काफी जख्मी हो गए थे। इस वजह से उन्हें काफी दर्द होने लगा। शनिदेव के दर्द को कम करने के लिए हनुमान जी ने उन्हें तेल दिया। तभी से शनिदेव को तेल अर्पित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है जैसे शनिदेव ने तेल के जरिए अपने दर्द से राहत पाई थी। वैसे ही जो भी भक्त शनिदेव को तेल चढ़ाता है, उससे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हमारे शास्त्रों में इस संबंध में अन्य कथा भी है। बताया जाता है कि जब रावण का अंहकार काफी बढ़ गया था तब उसने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था। शनिदेव को भी उसने बंदीग्रह में उलटा लटका दिया था। उसी समय हनुमान जी भगवान राम के दूत बनकर लंका पहुंचे थे। रावण ने हनुमाजी की पूंछ में आग लगवा दी।
हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी थी। सारे ग्रह आजाद हो गए, लेकिन उल्टा लटका होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी। जब हनुमान की नजर शनिदेव पर पड़ी तो उन्होंने उन्हें आजाद किया। तब शनिदेव दर्द से कराह रहे थे। शनि के दर्द को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की, तभी से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई।
जो राशि शनि की साढ़ेसती और ढैय्या से ग्रसित होती है, उस राशि से संबंधित व्यक्ति को अपने जीवन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर काम में उससे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। ऐसे में उसे हर शनिवार शनिदेव पर तेल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। ऐसे करने से उसे शनि की साढ़े सती और ढैय्या से काफी राहत मिलती है। शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं, इसके पीछे भी हमारे शास्त्रों में कई कहानियों का जिक्र किया गया है।
हनुमान जी ने दिया तेल :
एक अन्य कथा :
हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी थी। सारे ग्रह आजाद हो गए, लेकिन उल्टा लटका होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी। जब हनुमान की नजर शनिदेव पर पड़ी तो उन्होंने उन्हें आजाद किया। तब शनिदेव दर्द से कराह रहे थे। शनि के दर्द को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की, तभी से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई।