*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
कभी कभी लाख कोशिश करने के बाद भी व्यक्ति सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है। या यूं कहिए उसके घर में हमेशा क्लेश की स्थिति बनी रहती है। धन की कमी हमेशा बनी रहती है। पैसा आता तो है, लेकिन कहां चला जाता है, इसका पता नहीं चलता है। आमदनी कम और खर्चा हमेशा ज्यादा होता है। इतना ही नहीं, या तो संतान होती नहीं है या फिर होती है तो जल्द ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। पितृदोष की वजह से परिवार का एक सदस्य हमेशा बीमारी की चपेट में रहता है। इसके अलावा भी काफी अन्य समस्या पितृदोष की वजह से व्यक्ति को भुगतनी पड़ती है। पितृदोष के निवारण के लिए हम आज आपको कुछ ऐसे आसान उपाय बता रहे हैं, जिनके जरिए न सिर्फ पितरों को खुश किया जा सकता है, बल्कि उनकी कृपा भी पाई जा सकती है।
पितरों की कृपा आपके परिवार में हमेशा बनी रहे, इसके लिए अमावस्या के दिन खीर मंदिर में दान करें। इसके साथ ही पीपल पर मीठा दूध भी चढ़ाएं। बबूल के पेड़ के नीचे भोजन भी रखें। अमावस्या व हर शनिवार सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनिवार के दिन काले तिल और गंगा जल चढ़ाएं।
इन उपायों से पाइए अपने पित्तरों की कृपा :

श्राद्ध करना जरूरी :
धार्मिंक ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों को याद करना चाहिए और उनका श्राद्ध निकलना चाहिए। इस दिन ब्राह्मण को अपनी क्षमता अनुसार भोजन कराना चाहिए और दान अवश्य दे चाहिए। जो व्यक्ति भोजन कराने में असमर्थ हैं, वे बहते जल में काले तिल तर्पण करें या फिर ब्राह्माण को मुट्ठी भर काले तिल प्रदान करें। इसके अलावा गाय को चारा खिलाएं। इससे पितृ देव खुश होते हैं।अमावस्या पर करें ये उपाय :
ये भी उपाय करें :
- पितृदोष निवारण के लिए घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वजों के फोटो लगाकर उन पर हार चढ़ाकर सम्मानित करना चाहिए तथा उनकी मृत्यु तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र एवं दक्षिणा सहित दान, पितृ तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने चाहिए। घर के बुजुर्गो को हमेशा सम्मान करना चाहिए। कोई भी कार्य हो, उसमें पितरों को जरूर याद करना चाहिए और उनसे कार्य की कुशलता के लिए निवेदन करना चाहिए।
- श्रीमद् भागवत गीता के ग्यारहवां अध्याय का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए।
- पितृदोष से पीडि़त व्यक्ति को प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए और मां काली की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही प्रतिदिन अपने कुल देवता का स्मरण करना चाहिए।
- किसी लड़की का कन्यादान करने से या फिर उसकी शादी कराने से पितृदेव खुश होते हैं।
- अपने ज्ञात अज्ञात पूर्वजों के प्रति भक्ति का भाव रखना चाहिए और उनसे जाने-अनजाने में की गई भूलों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
- प्रत्येक अमावस्या के दिन गाय को गुड़ रोटी और पाँच फल जरूर खिलाने चाहिए।
- गर्मी के दिनों में प्याऊ का निर्माण कराना चाहिए।