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अनोखा और चमत्कारिक है वेकटेंश्वर स्वामी मंदिर | Amazing Venkateshwar Swami Temple



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।


भारत के ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिरों का जिक्र होता है तो उसमें तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। इस मंदिर का जिक्र दुनिया के सबसे अमीर मंदिर के रूप में भी किया जाता है। यहां हर साल श्रद्धालु करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्त की हर मनोकामना जरूर पूरी होती है। ये मंदिर तिरुमाला के पहाड़ों पर स्थित है। तिरुपति बालाजी का तिरुमाला वेकटेंश्वर स्वामी भी कहा जाता है।

ऐसा हुआ निर्माण :

प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे आराम किया था। ये तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। तिरुमाला- तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाडिय़ां, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं सप्तगिरि के नाम से जाना जाता है। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है।


इसके अलावा एक अन्य कथा भी है। बताया जाता है कि 11वीं शताब्दी में संत रामानुज ने तिरुपति की इस सातवीं पहाड़ी पर चढ़ाई की थी। तब भगवान विष्णु उनके समक्ष प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद संत 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहे और जगह-जगह घूमकर वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाई। तब से ये मंदिर पूरे विश्व में फेमस हो गया। सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी काफी संख्या में भक्त यहां आते हैं।


इस मंदिर के साथ जुड़ी हुई कई बातें भी हैं, जिनके बारे में आज हम इस लेख के जरिए बताने जा रहे हैं। ये बातें जानकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे।

  • मंदिर में वेकटेंश्वर स्वामी की मूर्ति  स्थापित है। इस मूर्ति पर लगे हुए बाल असली है। विशेष बात ये है कि ये बाल हमेशा रेशमी रहते हैं। कभी उलझते नहीं है। 
  • यहां हर दिन बालाजी की मूर्ति पर पचाई कर्पूरम चढ़ाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर ये कपूर किसी पत्थर पर चढ़ाया जाता है तो वे चटक जाता है। जबकि इस मूर्ति पर इसका कोई भी असर नहीं होता है। इस बात का पता लगाने की कोशिश कई वैज्ञानिकों ने भी की, लेकिन वे किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। 
  • इस गांव में जो भी फूल और दूध चढ़ाया जाता है, वे एक गांव से आते हैं। ये गांव इस मंदिर से २३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव में बाहरी लोगों का आना मना है। 
  • बालाजी की पीठ को कितनी बार भी साफ करो, वहां हमेशा नमी ही बनी रहती है। कान लगाने पर वहां समुद्र की आवाज भी आती है। वो आवाज कहां से आती है, ये भक्तों के लिए एक पहेली ही है। 
  • इस मंदिर में भक्तों के द्वारा जो भी पुष्प और तुलसी अर्पित की जाती है। उन्हें वापिस नहीं दिया जाता है, बल्कि मंदिर के एक कुंए में डाल दिया जाता है। 
  • इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर भक्त अपने बालों का दान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो जितने ज्यादा बाल देता है, भगवान उसको उतनी ही धन सम्पति प्रदान करते हैं। विशेष बात तो यह कि बाल दान करने में पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी काफी आगे रहती है। 



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