नागपंचमी भैया पंचमी का महत्व -
सावन का पावन महीना चल रहा हैं और इस महीने में त्योहारों का आना जाना भी रहता हैं उसमे से एक त्यौहार हैं नागपंचमी इसको भैया पंचमी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन सभी बहनें अपने भाई की लम्बी आयु के लिए पूजा करती हैं। इस दिन कौए को खाना खिलाने का बहुत ही बड़ा महत्व हैं। इसी कारण आज के दिन कौए भी बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं।
श्रावण में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती हैं। रिवाजानुसार इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाता हैं। खेतो के मालिक अन्य पशु जैसे गाय, बैल आदि पशुओं की पूजा भी करते हैं एवं अपनी फसलों की भी पूजा करते हैं।
नागपंचमी की पौराणिक कथा :नागपंचमी से भैया पंचमी बनने तक की कथा -
एक नगर में एक सेठ रहता था उसके चार पुत्र थे। सभी पुत्रों का विवाह हो चुका था। सेठ जी की बड़ी तीनों बहुओं के पीहर था और धन धान्य सभी से पूर्ण था लेकिन सबसे छोटी बहु के पीहर नहीं था। तो सारी बहुएँ छोटी बहु को ताना मरती थी एवं उसको चिढ़ाती भी थी। लेकिन छोटी बहु स्वभाव की बहुत ही सरल थी उस पर यह सब तानो का कोई असर नहीं होता था।
जैसा की सब जानते हैं सावन का महीना बेटियों का महीना होता हैं और बहुत सरे त्यौहार लेकर आता हैं। इसी कारण इस महीने में सारी बहुएँ मिलकर छोटी बहु को पीहर के ताने मारती थी एवं उसको दुखी भी करती थी।
एक दिन सारी बहुएँ पौधे लगाने के लिए साथ में गयी। तो बड़ी बहु ने जैसे ही मिटटी खोदने के लिए खुरपी को हाथ में लिया तभी वंहा पर एक साँप आ गया तो वो उसको मारने वाली थी तभी छोटी बहु ने उसको रोक दिया की इसको ना मारे।
तब वो साप वंहा से बच गया तथा रात में छोटी बहु के सपने में आया की तुमने मेरी जान बचायी हैं तुम्हे जो मांगना हैं मांग लो तब उसने साँप को अपना भाई बनाया तो साँप ने स्वीकार किया तथा उसको अपनी बहन बनाया।
घर की सारी बहुएँ अपने पीहर से रहकर आयी थी व् बहुत सारा सामान भी लायी थी और छोटी बहु को ताना देने लगी तभी छोटी बहु ने अपने भाई को सच्चे मन से याद किया तभी नाग देवता मनुष्य के रूप में उसके घर जा पहुँचे और सभी घर वालो को विश्वास दिलाया की ये उसके भाई हैं तथा काफी दिन उसके घर में रहे। जब वो चलने को हुए तो बहन ने बोला भैया मुझे भी पीहर चलना हैं तब नाग देवता ख़ुशी ख़ुशी अपनी बहन को नाग लोक में लेकर आये। वो अपने पीहर में ख़ुशी से रहने लगी।
नाग देवता की पत्नी सभी के लिए दूध ठंडा करके उनको घंटी बजाकर बुलाती थी तो उनको देख लड़की बोली आज मैं करूंगी दूध। उसने दूध कर दिया दूध थोड़ा गर्म था परन्तु उसने पहली घंटी बजाकर सबको बुला लिया। जैसे ही नागों ने दूध पिया तो सब के फ़न जल गए और सब गुस्सा होने लगे। तभी सभी नागों को नागिन ने शांत किया और बोली इसको घर छोड़ आओ परन्तु कुछ हानि मत पहुचाओ।
तब नाग देवता ने अपनी बहन को बहुत ही ख़ुशी और धूम धाम के साथ विदा किया और एक नौलखा हार भी दिया जब बहु अपने ससुराल आयी तो सब उससे चिढ़ने लगे। उसकी भाभी उसके जैसा हार मांगने लगी तब उसने बोली आप यही हार ले लो जैसे ही उसने हार पहना तो कातर बिच्छु बन गए।
उस दिन के बाद से नागपंचमी को भैया पंचमी के नाम से जाना जाता हैं और सभी बहने नाग देवता को अपना भाई मानती हैं।