हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गुरुवार की पूजा को बहुत ही महत्व दिया गया हैं। गुरुवार की पूजा भगवान विष्णु के लिए की जाती हैं। हमारे शास्त्रों का मन्ना हैं की यदि कोई कुंवारी कन्या 7 गुरुवार लगातार पूजा करे तो उसको एक सर्वगुण संपन्न वर की प्राप्ति होगी। गुरुवार का व्रत एवं पूजा कोई भी कर सकता हैं। सभी व्यक्ति अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए अनेक प्रकार व्रत एवं पूजा करते हैं उनमे से एक गुरुवार की पूजा हैं।
गुरुवार को की जाती हैं केले के पेड़ एवं पत्तों की पूजा -
गुरुवार के दिन केले के पत्ते एवं पेड़ की पूजा की जाती हैं। माना जाता हैं की केले पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता हैं। क्योंकि केले के वृक्ष में देवगुरु का वास होता हैं इसलिए प्राचीन काल से ही केले के वृक्ष एवं पत्तो को पवित्र माना जाता हैं।
केले के फल, तने एवं पत्तों का प्रयोग हमारी पूजा विधान में अनेक प्रकार से उपयोग में लाये जाते हैं। केले को पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार की पूजा विधि विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कदली एवं केले के पत्तों का महत्व-
गुरुवार की पूजा में केले के पत्तो का बहुत ही अधिक महत्व होता हैं। केले के पत्तो एवं कदली से सत्यनारायण की पूजा में सजावट की जाती हैं। गुरुवार को केले के पत्तों की पूजा की जाती हैं इसलिए उस दिन केले को खाया नहीं जाता हैं। दक्षिण भारत में केले के पत्तों पर ही खाना परोसा जाता हैं। केले के पत्तों में खाना खाना बहुत ही पवित्र माना जाता हैं।
गुरुवार की पूजा में होता हैं केले का भोग -
गुरुवार की पूजा में केले का बहुत अधिक महत्व हैं। क्योकि केले को पवित्रता का प्रतीक माना गया हैं तो स्वाभाविक सी बात हैं की गुरुवार की पूजा में केले का सेवन नहीं किया जायेगा।बृहस्पति के व्रत में भगवन विष्णु की पूजा की जाती हैं और भगवन विष्णु को भोग भी केले ही का लगता हैं।
पूरी में भगवन जगन्नाथ और श्री कृष्ण को केले के फूल से बानी शाक का भोग लगाया जाता हैं। चैतन्य महाप्रभु का भी सबसे अधिक प्रिय भोग केले के फूल की शाक हैं। केले की पवित्रता का पता प्राचीन काल से ही पता चलता हैं। प्राचीन काल में केले के तने से निकले पानी का ही प्रयोग करके उपास के लिए पापड़ आदि बनाये जाते थे।
कैसे करना चाहिए केले के वृक्ष का पूजन -
सुबह उठकर में व्रत धारण करें तथा स्नान आदि करें। में व्रत का कारण यह हैं की आपके मुख से उस दिन कुछ गलत शब्द न निकले।
मंदिर में जाकर या जंहा पर भी केले का वृक्ष हो उस पर जल चढ़ये और हाथ जोड़े।
हल्दी की गाठ, चना एवं गुड़ केले के वृक्ष पर पूजा करते समय चढ़ाये।
फूल और मंगल चीज़े अपनी छमतानुसार चढ़ाये एवं केले के वृक्ष की परिक्रमा करें।
केले के वृक्ष के पास बैठकर व्रत से सम्बंधित कहानी को पड़े।
भगवान विष्णु की आरती मन मुदित होकर गाये।
सबसे महत्वपूर्ण बात घर के आंगन के वृक्ष को छोड़ किसी दूसरे वृक्ष की पूजा करें।
तो इस प्रकार सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत एवं उसकी पूजा विधि होती हैं। कृपया पूजा विधि का सही से पालन करे भगवान् आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।