Hinduism

घर बैठे करें शिर्डी के श्री साईं बाबा के दर्शन | Sai Baba Darshan



आज हम आपको घर बैठे करा रहे हैं आप सभी के आराधय शिर्डी वाले साई बाबा के दर्शन। यह एक यात्रा हैं शिर्डी तक की जो आप सभी को दर्शन कराएगी आप सभी के आराधय श्री साईं नाथ की। साईं बाबा का अवतार कलयुग में लोगो को एक सही रास्ता दिखाने के लिए हुआ था।

 श्री साईं नाथ का केवल एक ही मंत्र था "सबका मालिक एक" इस मंत्र के द्वारा वो सभी लोगो को समझाना चाहते थे की मनुष्य की कोई जाति नहीं होती हैं उन सभी का मालिक एक ही हैं। जिसको लोगो ने अपने धर्म और जाति के अनुसार नाम और स्थान दिया हुआ हैं। 
शिर्डी के साई बाबा जिन्होंने 1918 में समाधि ली थी उनको भारत में गुरु, योगी एवं फ़क़ीर के रूप में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही धर्मों में बहुत ही सम्मान के साथ पूजा जाता हैं। 

जानते हैं कुछ साई नाथ के बारे में -

'साँई बाबा' नाम फारसी और भारतीय भाषा से लिया गया है, 'साँई' एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ है पवित्र या संत, जबकि भारतीय भाषाओं में 'बाबा' शब्द का प्रयोग पिता के लिए किया जाता है। तो इस प्रकार दो भाषाओं के मेल से बने इस शब्द का वास्तविक अर्थ 'पवित्र पिता' से हैं। 

साई नाथ के बचपन के विषय में किसी को भी कोई जानकारी नहीं हैं सभी लोग होने तर्क ही प्रस्तुत करते हैं। वास्तविकता में साई नाथ के प्रारंभिक 16 वर्षों के विषय में किसी को भी कोई भी जानकारी नहीं हैं। साई नाथ सदैव ही अपनी पूजा तपस्या में लीं रहते थे। साई नाथ ने अपने जीवन में केवल एक ही बात पर सबसे ज्यादा विश्वास दिखाया हैं की हिन्दू मुस्लिम कुछ नहीं हैं सभी भगवान के बनाये हुए प्राणी हैं। 
क्योंकि साई नाथ के प्रारम्भिक जीवन के विषय  किसी को भी कोई जानकारी नहीं हैं तो इनके माता पिता का भी कोई ज्ञान नहीं हैं। साई नाथ को भगवान का अवतार माना जाता हैं।

साँई बाबा ने प्रेम, दया, सहिष्णुता, क्षमा, शांति और भक्ति जैसे सिद्धांतों का पाठ पढ़ाया। वे अद्वैतवाद दर्शन के अनुयायी थे और उन्होंने भक्ति व इस्लाम, दोनों ही धाराओं में शिक्षाएँ दीं।  

शिरडी का साई मंदिर -

वैसे तो साई नाथ के श्रद्धालुओं ने प्रत्येक स्थान पर साई मंदिर बनवा रखा हैं पर शिर्डी के साई मंदिर का बहुत ही ज्यादा महत्व हैं। शिरडी में साई मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह हैं की यह मंदिर साई नाथ की समाधि पर बना हुआ हैं।


 शिरडी साई मंदिर आज से ७० वर्ष पूर्व बनवाया गया था  विशेष स्थान हैं उनके श्रद्धाओं के लिए। 1.5 एकड़ जमीन पर फैला हुआ ये मंदिर साई के सबसे बड़े मंदिरो में से एक हैं। इस मंदिर को कुछ धोबियों ने तुंगभद्रा नदी के किनारे पर बनवाया था। तारे के आकार में बने इस मंदिर में सुबह-शाम प्रार्थनाएं और आरती होती है। इस आरती में हिस्सा लेने के लिए दूर दराज से भी लोग आते हैं।

मंदिर के अंदर लक्ष्मी और भगवान हनुमान की प्रतिमा भी रखी हुई है। यहां वातावरण काफी शांत और निर्मल है। वैसे तो आप इस मंदिर में कभी भी जा सकते हैं, पर सुबह और शाम होने वाले प्रार्थनाओं के दौरान यहां जाना सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय नदी से आने वाली ठंडी हवा काफी खुशनुमा अहसास दिलाती है। यहां मेडिटेशन हॉल में आप ध्यान भी कर सकते हैं, जिसकी क्षमता करीब 800 लोगों की है। यह मंदिर कोंडा रेड्डी बुरुजू से करीब ही है, जिससे यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।



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