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इसलिए नंदी बने भगवान शिव की सवारी !! Why nandi became carrier of lord shiva



भगवान भोलेनाथ के चमत्कार के बारे में तो हमने अक्सर कई कहानियां सुनी होगी, लेकिन कभी ये जानने की कोशिश की है कि  आखिर क्या वजह थी कि भोलेनाथ ने नंदी बैल को ही अपनी सवारी के रूप में चुना। ऐसा ही कोई मंदिर होगा, जहां नंदी बैल नजर नहीं आता हो। बिना नंदी के शिव का परिवार अधूरा माना जाता है। इसलिए हर मंदिर में जहां भोलेनाथ की पूजा होती है, वहां नंदी बैल को भी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। नंदी बैल को भगवान शिव ने अपनी सवारी के रूप में क्यों चुना इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है, जिसका वर्णन शास्त्रों में किया गया है। 

चाहते थे अनोखी संतान

शास्त्रों के अनुसार शिलाद ऋषि ब्रह्मचारी थे। इसलिए उन्हें ये डर सताने लगा कि उनके बाद उनका वंश खत्म हो जाएगा। इसलिए उन्होंने एक बच्चा गोद लेने का निर्णय लिया, लेकिन वे  साधारण नहीं बल्कि विशेष बच्चा चाहते थे। इसलिए उन्होंने शिव जी की भक्ति करना शुरू किया। शिलाद ऋषि की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसंन हो गए और उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा। शिलाद ऋषि ने उनसे कहा कि वह एक पुत्र की कामना रखते हैं। भगवान शिव ने उनसे कहा कि जल्द ही उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी।   जब दूसरे दिन शिलाद ऋषि खेती करने लगे तब उन्हें एक नवजात शिशु मिला। वे बच्चा  खूबसूरत था और उसके चेहरे पर काफी तेज भी था। तब आकाशवाणी हुई और ऋषि को बोला गया कि यही तुम्हारी संतान है, इसका अच्छी तरह पालन-पोषण करना।  इस बच्चे का नाम उन्होंने नंदी रखा, जो बचपन से ही आध्यात्मिक और अपने पिता का आदर करने वाला था। शिलाद अपनी इस संतान से बेहद प्रसन्न थे। शिलाद ने नंदी को वेदों के साथ-साथ नैतिक शिक्षा का भी अच्छा प्रदान किया। 
कुछ सालों बाद शिलाद ऋषि के आश्रम में उनके दो मित्र पधारे, मित्र और वरुण। उन्होंने बताया कि नंदी अल्पआयु है। इस बात से ऋषि परेशान हो उठे, लेकिन नंदी बिल्कुल भी परेशान नहीं हुआ, वे शिवजी की तपस्या में लीन हो गया। शिवजी नंदी की तपस्या से खुश हो गए और उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा। नंदी ने उम्र की जगह शिवजी का सान्निध्य उम्र भर के लिए मांगा। तब शिवजी ने नंदी को अपने गले लगाया और बैल का चेहरा देखकर उसके अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। 


नंदी पहुंचाते हैं मनोकामना 

नंदी और भगवान शिव का बड़ा ही मजबूत रिश्ता है।  जो भी भक्त अपनी मनोकामना पूरी कराने चाहते हैं, उन्हें वे मनोकामना नंदी के कान में बोलनी चाहिए, क्योंकि शिवजी को हमेशा समाधि में लीन रहते हैं। भक्तों की आवाज नंदी ही शिवजी तक पहुंचाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि नंदी की बात को शिवजी कभी भी मना नहीं करते हैं और उसे जल्दी पूरा भी करते हैं। 



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