श्री यन्त्र और उसकी संरचना :
श्री यन्त्र एक पवित्र ज्यामिति संरचना है जिसका निर्माण हमारे जीवन से सारी गलत और नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने के लिए किया गया है | आज के इस भागमभाग और यांत्रिक युग मे हमारे पास समय नहीं है की हम दो क्षण बैठ के पठन-पूजन कर सके | इस समस्या का ज्ञान हमारे हिन्दू धर्म में बहुत पहले से था तभी आज से सहस्त्रों वर्ष पूर्व ही हमारे ज्ञानी और अन्वेषी पूर्वजों इस यन्त्र का निर्माण किया ताकि हम भविष्य और वर्तमान की आने वाली समस्याओं का समाधान निकल सकें |
श्री यन्त्र कार्य प्रणाली :
श्री यन्त्र 9 द्विसम्बाहू त्रिभुज (Isosceles Triangle) से मिल कर बना है | 9 में से 4 ऊपर आते त्रिभुजों को भगवान शिव के मूर्तरूप को प्रदर्शित करने के लिए माना जाता है और बाकि 5 त्रिभुजों को माँ पार्वती के मूर्तरूप से जोड़ के देखा जाता है | अर्थात श्री यन्त्र महिला और पुरुष की समानता का भी प्रतीक है | 9 त्रिभुजों के प्रयोग के कारण इसे नवयोनी चक्र भी कहते हैं |
![]() |
श्री यन्त्र |
जैसा की आप चित्र में देख सकते है इस यन्त्र में 9 त्रिभुज एक दुसरे को परस्पर काट रहे है और वो सारे त्रिभुज इस प्रकार से सुनियोजित है की वो छोटे-छोटे 43 त्रिभुज बनाते हैं जो की सारे ब्रम्हांड का प्रतीक है | ये पूरी संरचना एक वृत्त से घेर दी जाती है जो कि कमल के 8 पत्तों से बना है | एक और बड़ा वृत्त जो की कमल के 16 पत्तों का है इस छोटे वृत्त को घेरे है और एक वर्ग है जिसमें 4 द्वार खुलते हैं और वो धरती के 4 लोकों को प्रदर्शित करते हैं |
किसी भी जातक का आध्यात्मिक सफ़र इस चक्र की अलग-अलग परत के जैसा बढ़ता रहता है | श्री यन्त्र स्थापित करने का मुख्य उद्येश्य अपनी आदिम या प्रारंभिक उर्जा को फिर से अर्जित करना है |