कौन है देवी कुष्मांडा ?
देवी कुष्मांडा को माँ दुर्गा के नौ विभिन्न अवतारों में से चौथा रूप कहा जाता है | कुष्मांडा शब्द में से 'कु' का अर्थ है कम या अल्प, 'ऊष्मा' का अर्थ है 'उर्जा' और अंडा हमें सूचित करता है ब्रह्मांड का स्वरुप |
माँ कुष्मांडा की पूजा पावन नवरात्र के चौथे दिन दिन करते हैं | माँ कुष्मांडा को स्वास्थ्य और संपदा की देवी कहा जाता है |
माँ कुष्मांडा का मूर्तरूप |
कैसे हुआ श्रृष्टि का निर्माण ?
देवी कुष्मांडा का चित्रण एक अष्टभुजा देवी के रूप में किया है जिनके हाथों में चक्र, अंकुश, खड़ग, धनुष, बाण, और दो अलग अलग मर्तबान है जिसमे से एक में शहद भरा है और दूसरे में रक्त |
ऐसी एक प्रचलित कहानी है की जब सृष्टि का पूर्णतः निर्माण नहीं हुआ था और सारी सृष्टि अन्धकार में डूबी हुयी थी तब माँ कुष्मांडा ने एक उर्जा से भरे अंडे का निर्माण किया | इस अंडे के निर्माण के लिए माँ कुष्मांडा को सिर्फ मुस्कुराना पड़ा और इस अंडे से निकलते हुए प्रकाश ने सृष्टि को अंधकार मुक्त कर दिया | ऐसा भी कहा जाता है की माँ कुष्मांडा के पास सूर्य के गर्भ में रहने की शक्ति प्राप्त है अर्थात सूर्य से निकलने वाली भीषण किरने भी माँ कुष्मांडा को कोई विकार नहीं दे सकती |