जानिए 786 अंक का हिन्दू धर्म में भी क्या है रहस्य ? :-
हम सब जब भी 786 अंक के बारे में विचार करते हैं तो हमारे मन में केवल मुस्लिम धर्म से जुड़े होने की ही बात आती है और इस्लाम धर्म को मानने वाले 786 अंक को बहुत ही पवित्र मानते है किन्तु क्या आपको इसके हिन्दू धर्म से जुड़ाव होने के विशेष महत्त्व के बारे में भी पता है? आज हम आपको 786 अंक के महत्त्व का हिन्दू धर्म के साथ आदिकाल से समन्ध होने की जानकारी देते हैं।
तीन महाशक्तियों के होने का प्रमाण
हम सभी हिन्दू धर्म में तीन महाशक्ति अर्थात त्रिदेव के बारे में भली भांति जानते हैं। त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, महेश। इन त्रिदेवों में सबसे पहले सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी का सम्बन्ध अंक 7 से है। और सृष्टि के पालनहार के रूप में विष्णु भगवान का समन्ध अंक 8 से है ठीक इसी प्रकार अंक 6 का सम्बन्ध सृष्टि के संहारक भगवन भोलेनाथ से है और इसी प्रकार इन तीनो महाशक्तियों के मिलने से ही 786 अंक की महत्ता का ज्ञान होता है और सारी सृष्टि की सभी क्रियाएं चला करती हैं।
तीनों लोकों के होने की मान्यता
सनातन धर्म में हमेशा से ही तीन लोक होने की मान्यता है और इन तीनों लोकों में स्वर्गलोक जहाँ कि स्वर्ग के राजा इन्द्र का आधिपत्य है को अंक 7 से सम्बन्ध होना बताया गया है स्वर्ग लोक में राजा इन्द्र अपने और देवो जैसे अग्नि देव, बृहस्पति देव, पवन देव आदि देवताओं सहित अन्य ऋषि-मुनियों व अप्सराओं सहित निवास करते हैं तथा मान्यता यह भी है कि अगर कोई भी मनुष्य अपने जीवन में पुण्य कर्म करता है तो वह स्वर्ग धाम को प्राप्त करता है।
और इसी तरह अंक 8 का सम्बन्ध पृथ्वी लोक जिसे मरत्युलोक भी कहा गया है, से है। पृथ्वी लोक में मनुष्य और जीवात्मा अपने अपने कर्म के अनुसार फल भोगते हैं तथा इस लोक में जीव की म्रत्यु निश्चित होती है अर्थात जो आया है वह मर्त्यु को अवश्य प्राप्त करेगा और और पृथ्वीलोक में किये गए कर्मो अनुसार ही स्वर्ग अथवा नरक को भोगेगा।
और बात करते हैं अब तीसरे लोक अर्थात पाताललोक की जिसका सम्बन्ध अंक 8 से माना गया है पाताल लोक के बारे में वैसे तो हिन्दू धर्म में अनेक किदवंतिया मौजूद है परंतु मान्यतों के अनुसार अलग-अलग कहानियां मिलती हैं कहा जाता है की पाताल लोक में सात प्रकार के अलग अलग पाताल मौजूद हैं तथा इनमें ऐश्वर्य, धनधान्य, आनंद और भोगविलास का सुख स्वर्गलोक से भी ज्यादा है और यहाँ पर दैत्य, दानव तथा नाग, सर्प आदि अनेक मायावी क्रियाएं करते हुए करते हैं।
भगवान् श्रीकृष्ण से 786 का सम्बन्ध
सचिदानन्द परब्रह्म साक्षात् परमात्मा के पूर्णावतार भगवान् श्रीकृष्ण बांसुरी के सात छिद्रों से सात स्वरों के साथ हाथो की तीन-तीन अंगुलियों यानी कि छः अंगुलियों से बजाकर पूरे ब्रज को मुग्ध कर दिया करते थे। और इस तरह सात छिद्रों और सात स्वरों वाली बाँसुरी का सम्बन्ध अंक 7 से और देवकी के आठवें पुत्र होने से अंक 8 का सम्बन्ध तथा श्रीकृष्ण की छः अंगुलियों यानी कि अंक 6 से सम्बन्ध होना बताया गया है। और इस तरह 786 अंक का महत्त्व जितना मुस्लिम संप्रदाय में उतना ही हमारे हिन्दू सम्प्रदाय में भी है।
अंक ज्योतिषी के अनुसार 786 का महत्त्व
अंक ज्योतिषी के अनुसार 786 के सभी अंको को अगर हम जोड़ते हैं तो सभी अंको का मूलांक अर्थात 7 + 8 + 6 का योग 21 हुआ और 2 + 1 = 3 अंक हुआ जो कि सभी धर्मो में अत्यंत ही लाभकारी व शुभ व सम्पत्तिकारक मन जाता है जैसे शिवजी के त्रिशूल में भी ॐ के स्वरूपी 3 अंक ही प्रदर्शित होते हैं। 3 ही महाशक्तियाँ ब्रह्मा, विष्णु, और महेश हैं। अल्लाह, पैगेम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन तथा सारी सृष्टि के मूल रूप भी गुण - सत् रज व तम भी तीन ही हैं। अर्थात इस 786 अंक में हिन्दू व मुस्लिम धर्म दोनों का ही परस्पर मधुर मिलान लाज़मी है।