क्या है शिव लिंग ?
धरती पर सभी सगुण-निर्गुण रूपों में भगवान शिव का पूजन शिव लिंग के रूप में ही होता है | भगवान शिव के इस गोलीय, दीर्घ वृताकार और प्रतिष्ठित आकार को हर मंदिर के गर्भगृह में एक गोल पीढ़े पर रखा पाया जाता है | शिव लिंग की पूजा सिर्फ भारत में ही सीमीत नहीं है | शिवलिंग की पूजा श्री लंका में भी होती है और यहाँ तक की पश्चिम में रोमन द्वारा ही शिव लिंग की पूजा यूरोप के और देशो तक फैलाई गयी है | बेबिलोनिया में पुरातत्व विभाग की खुदाई में भी शिव लिंग के कई अवशेष मिलने से इस बात की पुष्टि होती है की शिव लिंग की पूजा प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता में भी की जाती थी | हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो की पुरातत्व विभाग द्वारा की गयी खुदाई में शिव लिंग की कई मूर्तियों के अवशेष मिलने से ये भी सिद्ध होता है की आर्यन के भारत में अप्रवासन से पहले भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में होती चली आ रही थी |
शिवलिंग का दार्शनिक रूप :
शिवलिंग शब्द बना है दो अक्षरों से शिव और लिंग | शिव का अर्थ है भगवान शिव और लिंग का अर्थ है प्रतीक या चिन्ह | इसी वजह से शिवलिंग संसार के सृजन का चिन्ह है | अगर आप अपने आस पास ध्यान दे तो हर वो चीज जिसका जन्म इस धरती पर हुआ है उसकी जननी का आकार इस गोलिया लिंग जैसा ही है | जैसे की किसी भी पेड़ का बीज, माँ की कोख, हमारे शरीर की कोशिकायें, ब्रम्हांड में व्याप्त सारे गृह, और यहाँ तक की हमारी पृथ्वी भी | तो शिवलिंग इसी बात का प्रतीक है की सारी सृष्टि का सृजन इस एक पिंडी से ही हुआ है |
शिवलिंग का सबसे नीचे का हिस्सा ब्रह्मा, बीच का हिस्सा विष्णु और सबसे ऊपर का हिस्सा जिसकी हम पूजा करते है वो भगवान शंकर का प्रतीक है |
शिवलिंग के पीछे के वैज्ञानिक तथ्य :
हिन्दू धर्म में विज्ञान के तथ्यों का हमेशा से स्वागत किया गया है | विज्ञान का तो कर्त्तव्य ही यही है की कैसे वो आध्यात्म की बातों को एक सफल और सटीक रूप से समझाये | तो वैज्ञानिक रूप से शिव लिंग को एक ऐसा पिंड कहा गया है जिससे सारी सृष्टि का सृजन हुआ है | ये एक ऐसी उर्जा रुपी अंडे का प्रतीक है जिससे फूटकर ये सारी सृष्टि निर्मित हुई है |