भगवान राम के सच्चे और सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की प्रसिद्धि जग जाहिर है | हिन्दुस्तान में जितने मंदिरों में भगवान राम की मूर्ति स्थापित है उतने ही मंदिरों में हनुमान जी विराजमान हैं | सच्ची प्रभु भक्ति का इससे बड़ा उदाहरण और उस प्रभु भक्ति का ऐसा फल हमें विरला ही मिलता है | हनुमान जी की प्रतिमा जहाँ भी स्थापित हो जाए वहां भक्तों का ताँता लग जाता है |ऐसे ही कुछ मंदिर हैं जहाँ दूर दूर से हनुमान भक्त अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करने आते हैं | तो आइये आज आपको ऐसे ही उन 3 बड़े मंदिरों के बारे में बताते हैं जहाँ मारुतिनंदन के दर्शन मात्र से ही कट जाते हैं सारे पाप |
1. हनुमान धारा मंदिर, चित्रकूट :
चित्रकूट का अध्यात्मिक रुप से बड़ा ही महत्व है | कहते हैं चित्रकूट में ही भगवान श्रीराम ने तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे और यह संभव हुआ था हनुमान जी की कृपा से | कहते हैं चित्रकूट में आज भी हनुमान जी वास करते हैं जहां भक्तों को दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है |
कारण यह है कि यहीं पर भगवान राम की कृपा से हनुमान जी को उस ताप से मुक्ति मिली थी जो लंका दहन के बाद हनुमान जी को कष्ट दे रहा था | इस विषय में एक रोचक कथा है कि, हनुमान जी ने प्रभु राम से कहा, लंका जलाने के के बाद शरीर में तीव्र अग्नि बहुत कष्ट दे रही है | तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा कि-चिंता मत करो | चित्रकूट पर्वत पर जाओ | वहां अमृत तुल्य शीतल जलधारा बहती है | उसी से कष्ट दूर होगा |
2. संकटमोचन मंदिर, वाराणसी :
संकटमोचन मंदिर वाराणसी में हनुमान जी का मंदिर है | माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण गोस्वामी तुलसीदास जी ने कराया था | लगभग 1608 ई. 1611 ई. के बीच संकटमोचन मंदिर को बनाया गया है | मान्यता है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस का कुछ अंश संकटमोचन मंदिर के पास विशाल पीपल के पेड़े के नीचे बैठकर लिखा था |
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यहां हनुमान जयंती धूम-धाम से मनायी जाती है | इस दौरान मंदिर में बड़े स्तर पर संगीत कार्यक्रम आयोजित होता है | जिसमें देश के ख्यातिलब्ध गायक अपना गायन और संगीत प्रस्तुत करते हैं | हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं की खूब भीड़ जुटती है | मंदिर परिसर में काफ़ी संख्या में बन्दर भी रहते हैं |
3. बालाजी हनुमान मंदिर, मेंहदीपुर :
राजस्थान के सवाई माधोपुर और जयपुर की सीमा रेखा पर दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अतिप्रसिद्ध तथा प्रख्यात मन्दिर है जिसे श्री मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर के नाम से जाना जाता है । नास्तिक भी बालाजी के साक्षसात चमत्कार देखकर आस्तिक बन जाते है | भूत प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का जमघट लगा रहता है।
तंत्र मंत्रादि ऊपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति बालाजी के आशिर्वाद से पूरी तरह रोग मुक्त होकर निकलते है । सम्पूर्ण भारत से और देश विदेश से भक्तो का यहा ताँता लगा रह्ता है | ध्यान से देखने पर हनुमान जी के सीने में एक छोटा सा छेद है जिसमे से निरंतर पानी की एक धारा बहती रहती है यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है, जिसे भक्त्जन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं |