जानिए किस भगवान का स्वप्न में हुआ अनोखा विवाह?:-
वैसे तो हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं के विवाह की कहानियाँ आपने सुनी होंगी परंतु हम आज आपको हिन्दू धर्म के देवता के ऐसे अनोखे विवाह की कहानी सुनाने जा रहे है जो आपने शायद पहले कभी न सुनी हो जी हाँ हम एक ऐसे विवाह की कहानी आपको बता रहे है जिसकी शुरआत न तो किसी पंडित ने की और न ही किसी बिचोलिये या फिर असल जिंदिगी में घटित किसी घटना से ही होती है।
बाबा जाहरवीर को अधूरा विवाह होने का स्वप्न आना :-
इस कहानी के असली नायक शिवअवतारी गुरु गोरखनाथ के परमप्रिय शिष्य श्री गोगावीर चौहान है, जिनको कि हिन्दू, मुस्लिम व सिख भाई बड़ी संख्या में जाहरवीर बाबा के नाम से भी पूजते हैं। राजस्थान प्रान्त के ददरेवा नगर के राजा जेवर सिंह व रानी बाछल के काफी दान पुण्य करने भी जब कोई संतान नहीं हुई तो गुरु गोरखनाथ जी की कृपा से उनके यहाँ जाहरवीर का जन्म हुआ जो जब युवा हुए तो एक बार जब वह में सोये हुए थे तो मध्य रात्रि में उन्होंने एक स्वप्न देखा कि वह एक एक बहुत ही सुंदर स्थान पर अपने नीले घोड़े के साथ किसी अनजान नगरी में पहुँच गये हैं और उनके विवाह की तैयारियॉ की जा रही हैं चारो तरफ उनके ही विवाह की तैयारियों में सभी लोग लगे हुए हैं विवाह मंडप में जब उनके फेरे की तैयारी की जा रही थी तो अत्यंत ही सुन्दर और चन्द्रमा की भांति तेज वाली एक राजकुमारी से उनके विवाह के फेरे की तैयारी हो रही है जब उनके विवाह के केवल साढ़े तीन फेरे हुए थे ठीक तभी ब्रह्म मुहर्त में उनका सपना टूट गया।
और थोड़ी देर बाद वहाँ पर श्रियल रानी अपनी सखियों के साथ आई तो बाग़ की दशा देखकर दंग रह गयी ? और जब वहां पर अदभुत नीले घोड़े को मस्ती करते देखा तो समझ गयीं और क्रोधित होकर अपनी सखियों से कहा कि यह सब इस घोड़े की ही करतूत है ? इसको इसका दण्ड अवश्य मिलेगा। इतना सुनते ही नीला घोड़े ने रानी श्रियल से कहा कि भाभी आप नाराज मत होइये मैं और जाहरवीर भैया आप से मिलने ही आपके बाग़ में इतनी दूर से आये हैं। और रानी श्रियल और उनकी सहेलियां एक घोड़े को बोलते देखकर आश्चर्यचकित रह गयीं ? और अधिक गुस्से से बोलीं कि तेरा सवार कौन है और कहाँ है ? तुम दोनों यहाँ से सही सलामत वापस नहीं जाओगे। नीले घोड़े ने फिर से भाभी कहकर कहा कि मेरे गुरुभाई गोगा आपके शयनकछ में विश्राम कर रहे हैं और फिर रानी बाग़ के शयनकछ में अपनी सखियों के साथ गई तो गोगावीर गहरी निद्रा में विश्राम कर रहे थे। रानी की सहेलियों ने गोगावीर को उठाया तो जैसे ही गोगावीर की निगाहें रानी पर पड़ी तो गोगाजी रानी को तुरंत पहचान गए और और बोले हे रानी मेरा नाम जाहरवीर चौहान है में बागड़ प्रान्त के राजा जेवर सिंह का पुत्र हूँ और मेरा स्वप्न में बिलकुल आप जैसी ही राजकुमारी से आधा विवाह हो चुका है और मैं आपको ढूंढते हुए ही यहाँ पर आ पहुँचा हूँ। और मुझे मालूम है कि आपको भी आधे विवाह वाला स्वप्न अवश्य आया होगा।
और फिर राजकुमारी श्रियल ने भी अपने आधे विवाह के स्वप्न वाली बात बताई और आगे फिर दोनों का जो विवाह अधूरा रह गया था बाद में दोनों राजघरानो की रजामंदी से संपन्न हुआ | और उनके विवाह में सभी उन्हें देवीदावतो का आशीर्वाद मिला |
स्वप्न के बाद अपनी माता बाछल से आज्ञा लेकर प्रस्थान करना :-
और गोगावीर विचलित होकर अचानक उठ गए और सपने में जिस राजकुमारी को उन्होंने देखा था उसके बारे में विचार करने लगे। और सबसे अपनी माता बाछल के पास जाकर स्वप्न के बारे में बताया तो माता ने कहा की बेटा स्वप्न की बातें तो झूठी होती हैं लेकिन गोगावीर ने धृड निश्यय होकर कहा कि हे माता अब आप मुझे अब आप मुझे सिर्फ आशीर्वाद दें कि मैं स्वप्न में जिस राजकुमारी से मेरा आधा विवाह हुआ है उसको आपकी बहु बनाकर ला सकूँ। यह सुनकर बाछल माता ने कहा कि बेटा अगर तुम जाना ही चाहते हो तो तुम नीले घोड़े को अवश्य अपने साथ ले जाओ। वह चमत्कारी घोड़ा तुम्हारा ही गुरुभाई है और भगवान् गुरु गोरखनाथ के ही आशीर्वाद से जन्मा है।भैमईया से मुलाकात होने के बाद ससुराल का पता मिलना :-
और गोगावीर ने अपनी माता की आज्ञा का पालन करके नीले घोड़े को साथ लेकर सपने वाली जगह ले जाने को कहा और चत्मकारी घोड़े ने गुरु गोरखनाथजी का ध्यान करके अपने पंख फैला दिए और गोगाजी को बैठाकर तुरंत ही समुद्र के किनारे जा पंहुचा। और समुद्र के किनारे पहुँचकर वहाँ देखा तो एक वृद्ध महिला बैठी हुई कागज की दो - दो नाव बनाकर समुद्र के पानी में बहाये जा रही थी। और आश्चर्यजनक रूप से गोगावीर ने वृद्ध महिला से पूछा कि की हे माता आप कौन हैं और यह क्या खेल कर रही हैं। मैं कागज की दो नावों को एक महिला और एक पुरुष की जोड़ी के हिसाब से एक साथ छोड़ रही हूँ जो एक भी नाव डूब जाएगी समझो उसका जोड़ा उसके जीवन का साथ छोड़ जायगा। तब वृद्ध महिला ने कहा कि में तेरा ही इंतज़ार कर रही थी तेरा नाम गोगावीर है और तू बागड़ के राजा जेवर सिंह का बेटा है। इतना सुनकर गोगावीर और नीले घोड़े को बहुत ही आश्चर्य हुआ और पूछा कि माता आप हमारे बारे में कैसे जानती हैं कृपया अपना परिचय आप शीध्र ही बताएं। फिर वृद्ध महिला ने बताया के मैं भैमईया हूँ और मैं लोगों की किस्मत का लेखा जोखा मेरी कलम से लिखा जाता है मैं तेरा ही इंतज़ार कर रही थी तू अपने स्वप्न की राजकुमारी को ढूंढने यहाँ आया है। तेरी शादी तंदुल नगरी के राजा सिंधा सिंह की बेटी श्रियल से होगी। कल मैंने उससे भी यही थी की तेरी शादी बागड़ के राजकुमार से होगी। मेरा लेखा कोई भी नहीं मिटा सकता। तब गोगावीर ने अपने उनके नीले घोड़े से कहा कि मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि हम क्या करें? तब नीले घोड़े ने कहा भैया बस तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ और बाकी सब मेरे ऊपर छोड़ दो ? फिर गोगाजी को लेकर नीले घोड़े ने अपने पंख फैला दिए और समुद्र के पर तंदुल नगरी के एक बाग़ में ले जाकर उतार दिया? और वह बाग़ वहां के राजा सिंधा सिंह की राजकुमारी श्रियल का जनाना बाग़ था? और बाग़ में ठहर कर नीले घोड़े ने बाग के पेड़ो और फलों आदि के वृक्षो से खूब मस्ती की और पूरा बाग़ उजाड़ दिया ?और उधर गोगाजी बाग़ के एक शयनकछ में विश्राम करने के लिए चले गये ?राजकुमारी श्रियल से मिलना और विवाह होना:-
और थोड़ी देर बाद वहाँ पर श्रियल रानी अपनी सखियों के साथ आई तो बाग़ की दशा देखकर दंग रह गयी ? और जब वहां पर अदभुत नीले घोड़े को मस्ती करते देखा तो समझ गयीं और क्रोधित होकर अपनी सखियों से कहा कि यह सब इस घोड़े की ही करतूत है ? इसको इसका दण्ड अवश्य मिलेगा। इतना सुनते ही नीला घोड़े ने रानी श्रियल से कहा कि भाभी आप नाराज मत होइये मैं और जाहरवीर भैया आप से मिलने ही आपके बाग़ में इतनी दूर से आये हैं। और रानी श्रियल और उनकी सहेलियां एक घोड़े को बोलते देखकर आश्चर्यचकित रह गयीं ? और अधिक गुस्से से बोलीं कि तेरा सवार कौन है और कहाँ है ? तुम दोनों यहाँ से सही सलामत वापस नहीं जाओगे। नीले घोड़े ने फिर से भाभी कहकर कहा कि मेरे गुरुभाई गोगा आपके शयनकछ में विश्राम कर रहे हैं और फिर रानी बाग़ के शयनकछ में अपनी सखियों के साथ गई तो गोगावीर गहरी निद्रा में विश्राम कर रहे थे। रानी की सहेलियों ने गोगावीर को उठाया तो जैसे ही गोगावीर की निगाहें रानी पर पड़ी तो गोगाजी रानी को तुरंत पहचान गए और और बोले हे रानी मेरा नाम जाहरवीर चौहान है में बागड़ प्रान्त के राजा जेवर सिंह का पुत्र हूँ और मेरा स्वप्न में बिलकुल आप जैसी ही राजकुमारी से आधा विवाह हो चुका है और मैं आपको ढूंढते हुए ही यहाँ पर आ पहुँचा हूँ। और मुझे मालूम है कि आपको भी आधे विवाह वाला स्वप्न अवश्य आया होगा।
और फिर राजकुमारी श्रियल ने भी अपने आधे विवाह के स्वप्न वाली बात बताई और आगे फिर दोनों का जो विवाह अधूरा रह गया था बाद में दोनों राजघरानो की रजामंदी से संपन्न हुआ | और उनके विवाह में सभी उन्हें देवीदावतो का आशीर्वाद मिला |