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कहानी वृन्दावन के सबसे प्राचीन मन्दिर श्री राधावल्लभ की | Full story on Mathura's oldest temple



श्री राधावल्लभ मन्दिर :


श्री राधावल्लभ मन्दिर वृन्दावन का सबसे प्राचीन मन्दिर हैं। वृन्दावन का नाम सुनते ही मन में कृष्ण जी के अनेक मन्दिरों की तस्वीरें मन में आ जाती हैं। श्री वृन्दावन में कृष्ण जी के भजन गूँज रहे हैं। वृन्दावन के प्रत्येक घर और 
 मंदिर में कृष्णा जी मूर्ति स्थापित हैं। वृन्दावन का सबसे पुराना मन्दिर हैं श्री राधावल्लभ का। इस मन्दिर में कृष्ण जी राधा में हैं और राधा कृष्ण में हैं।


जब औरंगजेब ने युद्ध किया था तब इस मंदिर के वास्तविक रूप को क्षति कर दी थी तब श्री राधावल्लभ को राजस्थान में स्थापित कर दिया था। श्री राधावल्लभ का मन्दिर 450 वर्ष पुराना हैं। युद्ध के बाद श्री राधावल्लभ को पुरे 123 वर्ष बाद राजस्थान से वृन्दावन में लाया गया था। श्री राधावल्लभ जी के मन्दिर में केवल एक ही मूर्ति हैं। इस मूर्ति में कृष्ण  राधा कृष्ण में हैं। 

राधा जी की मूर्ति हैं कृष्ण जी से छोटी :

वास्तव में राधा जी श्री कृष्ण जी के साथ ही होती हैं। लेकिन श्री राधावल्लभ मन्दिर में राधा रानी की मूर्ति कृष्ण जी से छोटी हैं। इस मंदिर में राधा जी की मूर्ति कृष्ण जी की मूर्ति से बड़ी हैं।


बताया जाता हैं राधा रानी का जन्म कृष्ण जी से 1 वर्ष पहले हुआ था लेकिन राधा रानी ने कृष्ण जी के जन्म से पहले अपनी आंखे नही खोली थी। राधा रानी और कृष्ण जी की प्रेम कथाएँ प्रसिद्ध हैं। उनके प्रेम की लीलाएँ वृन्दावन और बरसाने की गलियों गूँज रही हैं। वृन्दावन में स्थित सभी मन्दिरो में से केवल श्री राधावल्लभ जी मन्दिर में ही संध्या में भजन होता हैं। श्री राधावल्लभ मन्दिर में  यह परम्परा शुरू से ही चलती आ रही हैं। 

श्री राधावल्लभ की स्थापना :


इस मन्दिर की कहानी पुराणों में भी मिलती हैं। माना जाता हैं आत्मदेव जी  विष्णु जी के उपासक थे। आत्मदेव जी जाति  ब्राह्मण थे। एक बार आत्मदेव जी का मन हुआ की वो शिव जी के दर्शन करे। उनके दर्शन के लिए उन्होंने तपस्या शुरू कर दी। शिव जी तो वैसे भी सरल स्वभाव के हैं तो वो जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। आत्मदेव की तपस्या से खुश होकर उन्होंने आत्मदेव को दर्शन दिए और उनको कुछ वरदान मांगने के लिए बोला। 
तब आत्मदेव ने शिव जी को बोला की वो अपने मन से कुछ भी दे दें। तब शिव जी ने इस मंदिर को स्थापित किया। शिव जी द्वारा स्थित इस मंदिर में कृष्ण जी और राधा रानी एक ही मूर्ति में हैं। इस मूर्ति में इस तरफ राधा रानी और दूसरी तरफ कृष्ण जी हैं। 

राधावल्लभ में खेली जाने वाली होली :

राधावल्लभ में होली केसर के पानी से खेली जाती हैं। राधावल्लभ में आये हुए भक्त गुलाल और केसर के पानी से होली खेलते हैं। इस मंदिर में पीतल की बहुत बड़ी-बड़ी पिचकारी होती हैं जिसमे केसर का पानी भरा हुआ होता हैं। 

इस पानी को भक्तो के उप्पर फेक जाता हैं। ये पानी भक्त प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं। सभी भक्त फूलों और गुलाल से होली खेलते हैं। होली के अवसर पर मन्दिर में बहुत सुन्दर-सुन्दर झाकियां बनाते हैं।  



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