Hinduism

जब धन के राजा कुबेर हो गये गणेश को खिलाने में कंगाल | Lord Ganesh stories for moral values



कौन है कुबेर ?

हिन्दू धर्म में व्याप्त मान्यता के अनुसार कुबेर को धन का देवता कहा गया है | कुबेर यक्षों के राजा भी कहे जाते हैं | शायद आपको ये बात पता ना हो पर कुबेर जितने धन धान्य और राजशाही ठाटबाट से लैस है उतने ही बड़े वो योगी तपस्वी भी है |
पर आज की कहानी आपको कुबेर के दंभी स्वरुप के बारे में बताएगी | एक समय था जब कुबेर को अपनी धन संपदा पर घमंड हो गया था | ये कथा उसी समय की है |

जब घमंड मे कुबेर ने शिव पार्वती को खाने का न्योता दिया :  

जो तीनो लोकों के स्वामी हैं, बुराई के संहारक है, सबसे बड़े योगी है, जिनके दर्शन के लिए भक्त वर्षों तप करते हैं उन महादेव को कुबेर ने अपने घर खाने पर निमंत्रण दिया | कुबेर अपने दंभ में चूर इस बात को भूल गए की जिन्हें वो भोजन का निमंत्रण दे रहे है उन्ही की वजह से सम्पूर्ण संसार को भोजन उपलब्ध होता है | 


अगर वो एक भक्त की तरह प्रभु का आवाहन करते तो निश्चित ही भगवान् शिव और माता पार्वती कुबेर को दर्शन भी देते और उनका भोग भी स्वीकार करते | पर कुबेर के इस व्यवहार से भगवान् क्रुद्ध हुए और कुबेर को सीख देने के लिये भगवान गणेश को बुलाया |

कैसे उतारा भगवान गणेश ने कुबेर का घमंड ?

भगवान गणेश जब कुबेर के निमंत्रण स्थल पर पहुँचे तो वह उनका स्वागत सत्कार किया गया | फिर भगवान् गणेश भोजन की तरफ टूट पड़े | सबसे पहले उन्होंने पकवान कहना शुरू किया | देखते ही देखते उन्होंने पकवान से भरी रसोई चट कर दी | तत्पश्चात फिर से हलवाई तलब किये गए फिर से पकवान छनना शुरू हुए | पर गजानन की भूख कहाँ शांत होने वाली थी | वो तो भूख के मारे तड़प रहे थे | 


फिर से तैयार किये गए भोजन को भी गणेश जी ने पलक झपकते खत्म कर दिया | अतृप्त मन को भरने के लिए उन्होंने थाली खाना शुरू किया | देखते ही देखते भगवान गणेश ने कुबेर के घर के सारे बर्तन का भक्षण कर लिया | अब भी उनकी तृष्णा शांत नहीं हुई |

अंततः कुबेर ने पाँव पकड़ लिए गणेश के :

भगवान गणेश धीरे धीरे करके कुबेर के घर का हर सामन खाए जा रहे थे | ये देख कुबेर को अपनी करनी पे ग्लानी गुई | उसे लगता था की उसका धन साम्राज्य कभी ख़त्म नहीं हो सकता पर एक ही क्षण में भगवान गणेश ने उनके सारे धन धन्य को नष्ट कर दिया | 


अपनी गलती का एहसास होते ही कुबेर ने गणेश के पाँव पकड़ लिए और उनसे क्षमा प्रार्थना की | भगवान् गणेश ने भी उनकी क्षमा को स्वीकार किया और उनको सद्बुद्धि मिले ऐसा वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए |



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