“आज मेरी बालकनी से
दिखने वाली बंजर ज़मीन,
खिलखिलाने लगी,
क्योंकि जिंदगी वहाँ अब मुस्कराने लगी”
मेरी कहानी :
सात-आठ महीने पहले
जब भी मैं अपने घर की बालकनी से देखती थी तो दूर तक खाली ज़मीन ही दिखाई देती थी | एक दिन अचानक वहाँ कुछ हलचल होने लगी और देखते ही देखते वो खाली ज़मीन एक छोटे से
गाँव में बदल गयी | सुना था उस ज़मीन पे हाउसिंग सोसाइटी बनने जा रही है और वहाँ काम करने वाले अपने परिवारों के साथ आ बसे थे | अब रोज़ सुबह, वहाँ से छोटे-छोटे
बच्चों की आवाजें मेरी खिड़की से होकर मुझ तक पहुँचने लगी | एक कमरे के छोटे से घर में उनकी जिंदगी बहुत बड़ी थी | सारा दिन बच्चे खेलते रहते और उनके माँ बाप काम करते | मैं उन नन्हे सपनो को हँसते देख बहुत खुश हो जाती | कभी मन उदास होता तो उनको देख लेती | बहुत हिम्मत मिलती है उन्हें देख के मुझे | एहसास होता है की हम कहाँ छोटी-छोटी चीज़ों के पीछे भाग कर अपनी अनमोल
जिंदगी ख़त्म कर रहे है | जिंदगी जीना तो उनको आता है | जितना खाने को मिला खा के खुश
हो जाते है, जो पहनने को मिला उसी में अपने आप को खूबसूरत बना लेते है | वो मुझे
समझाते है की ख़ूबसूरती महंगे कपड़ों में नहीं साफ़ मन में होती है |
मैं उनके लिए कुछ
करना चाहती थी | सोचती थी क्यों न उनको रोज़ एक घंटा पढ़ाना शुरू कर दूँ |पर सिर्फ
सोचती रही | पर आज मुझे उनके पास जाने का मौका मिला | आज मैं अपने घर की बालकनी से नहीं बल्कि असल में उनके बीच में थी बहुत करीब से उनको देखने समझने के लिए |
हमारे ऑफिस ने “ JOSH – Joy of Sharing ” नाम के एक इवेंट का आयोजन किया था जिस के तहत हमलोग अपने पुराने और कम प्रयोग में लाये गए कपड़े, शाल, स्वेटर; खाने के लिये बिस्कुट और चॉकलेट वगैरह लेकर उनके बीच गए थे | हमारी कोशिश यही थी की हम उनके साथ खुशियाँ बाटना चाहतें थे | यह एक ऐसा अनुभव था जिसको शब्दों में बयान करना आसान नही है |
वहाँ जा कर एहसास हुआ की उनकी खुशियाँ हमारे कपड़े और चॉकलेट नहीं है, असल में जीना क्या है ये तो वही ठीक से जानते है | वहाँ पहुँचते ही ऐसा लगा जैसे बच्चे हमारा इंतज़ार कर रहे थे | बच्चों ने बहुत मन से हमारा स्वागत किया | कुछ ने हमें कविता सुनाई तो कुछ बच्चों ने हमें गाना भी गा कर सुनाया | कुछ बच्चों को इंग्लिश वाली ABCD भी आती थी | सब बहुत खुश थे | हमने सिर्फ उनको सुना और तालियाँ बजायी | इसी से उनके हौसलों को मानो जैसे नयी उड़ान मिल गयी हो |
मैं आज जिंदगी की असलियत तो उन नन्हें फरिश्तों से सीख कर आई | प्रणाम उन नन्हें फरिश्तों के हौसले को
जिनकी आँखों में कुछ कर दिखने के मासूम सपने हैं | उनको ज़रूरत है बस एक हाथ की जिसको पकड़ के वो
आसमान भी छू सकते हैं |
"जिंदगी तो जिंदादिली का नाम है
खुश रहो और खुशियाँ बाटों,
एक मुस्कान सब काम आसान कर देती है
किसी से प्यार से बोले दो बोल किसी को हमारा बना सकते है
और किसी के चेहरे पे हमारी वजह से आई मुस्कान सारे गम भुला देती है"
नोट:
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