श्रेष्ठता के मापदंड पर हमेशा खरा उतरने की इक्षा हर किसी को होती है। हर कोई अपने खास छेत्र में हमेशा अव्वल आना चाहता है। चाहे वो उम्र का कोई भी पड़ाव हो। गली के लड़कों के साथ खेले जाने वाला कोई खेल हो, चाहे क्लास में मॉनिटर बनने की होड़ या फिर सत्ता की सीट कब्जियाने का कोई जुगाड़। हम कहीं भी दुसरे नंबर पर नहीं आना चाहते। पर क्या आपने कभी सोचा है की ये जो इतना बड़ा संसार है जहाँ सब कुछ ऑटोमेटेड चल रहा है इसकी रचना, पालन और संहार करने वालों के बीच सर्वश्रेष्ठ होने का झगड़ा नहीं हुआ होगा ? क्या कभी ब्रह्मा, विष्णु, महेश आपस में अपनी श्रेष्ठता को लेकर कभी विवाद नहीं हुआ होगा ? तो आइये आज हम आपको वो किस्सा सुनाते हैं जब त्रिदेवों के बीच श्रेष्ठता का विवाद उठा।
ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता का झगड़ा :
शिव की श्रेष्ठता को लेकर कई कथाएं हैं | उनमें से एक कथा के अनुसार ब्रह्मा और विष्णु में एक बार श्रेष्ठता को लेकर झगड़ा हो गया | ब्रह्मा ने विष्णु से कहा, 'मैं हर जीवित अस्तित्व का पिता हूं |
इसमें तुम भी शामिल हो |' विष्णु को यह अच्छा नहीं लगा |
उन्होंने ब्रह्मा से कहा, ' तुम एक कमल के फूल में पैदा हुए थे, जो मेरी नाभि से निकला था | इस तरह तुम्हारा जनक मैं हुआ |'
दोनों के बीच झगड़ा चल ही रहा था कि अचानक एक अग्नि स्तंभ अवतरित हुआ | वो अग्नि स्तंभ बेहद विशाल था | दोनों की आंखों उसके सिरों को नहीं देख पा रहीं थीं | दोनों के बीच तय हुआ कि ब्रह्मा आग के इस खंभे का उपरी सिरा खोजेंगे और विष्णु निचला सिरा | ब्रह्मा ने हंस का रूप धरा और ऊपर उड़ चले अग्नि स्तंभ का ऊपरी सिरा देखने की मंशा से | विष्णु ने वाराह का रुप धारण किया और धरती के नीचे अग्नि स्तंभ की बुनियाद खोजने निकल पड़े |
दोनों में से कोई सफल नहीं हो सका | दोनों लौट कर आए | विष्णु ने मान लिया कि सिरा नहीं खोज पाए | यूं तो खोज ब्रह्मा भी नहीं पाए थे लेकिन उन्होंने कह दिया कि वो सिरा देख कर आए हैं | ब्रह्मा का असत्य कहना था कि अग्नि स्तंभ फट पड़ा और उसमें से शिव प्रकट हुए | उन्होंने ब्रह्मा को झूठ बोलने के लिए डांटा और कहा कि वो इस कारण से बड़े नहीं हो सकते | उन्होंने विष्णु को सच स्वीकारने के कारण ब्रह्मा से बड़ा कहा | ब्रह्मा और विष्णु दोनों ने मान लिया कि अग्नि स्तंभ से निकले शिव महादेव यानी किसी अन्य देव से बड़े हैं | वह उन दोनों से भी बड़े हैं क्योंकि दोनों मिल कर भी उनके आदि-अंत का पता नहीं लगा सके |