क्या होता है प्राणायाम ?
प्राण का अर्थ, ऊर्जा अथवा जीवनी शक्ति है तथा आयाम का तात्पर्य ऊर्जा को नियंत्रित करनाहै। इस नाडीशोधन प्राणायाम के अर्थ में प्राणायाम का तात्पर्य एक ऐसी क्रिया से है जिसके द्वारा प्राण का प्रसार विस्तार किया जाता है तथा उसे नियंत्रण में भी रखा जाता है।
यहाँ 3 प्रमुख प्राणायाम के बारे में चर्चा की जा रही है:-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम :

- ध्यान के आसान में बैठें।
- बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
- श्वास यथाशक्ति रोकने (कुम्भक) के पश्चात दायें स्वर से श्वास छोड़ दें।
- पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
- यथाशक्ति श्वास रूकने (कुम्भक) के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें।
- जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें… क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ने करें।
लाभ:-
- शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
- शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
- भूख बढती है।
- रक्त शुद्ध होता है।
सावधानी:-
- नाक पर उँगलियों को रखते समय उसे इतना न दबाएँ की नाक कि स्थिति टेढ़ी हो जाए।
- श्वास की गति सहज ही रहे।
- कुम्भक को अधिक समय तक न करें।
कपालभाति प्राणायाम :

- कपालभाति प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है, मष्तिष्क की आभा को बढाने वाली क्रिया।
- इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्थात श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है।
- श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है।
- इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
- हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं।
- कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
- मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं।
- मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
भ्रामरी प्राणायाम :

- आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
- दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
- नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
- पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
- इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें।
लाभ:-
- वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है।
- ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है।
- मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।
- पेट के विकारों का शमन करती है।
- उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है।