हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र प्रारंभ हो चुका है। शारदीय नवरात्र इस बार 9 दिन के होंगे। ये 9 दिन सुख- समृद्धिदायक होगें। तो इस बार आप माँ दुर्गा की आराधना पूरे मन से करें और सुख समृद्धि पाएं। लोग अपनी सुख समृद्धि और मन्नत के लिए नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते है ताकि घर में सुख शांति रहे।
2-जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी।
3-पात्र में बोने के लिए जौ।
4-कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
5-मोली।
6-इत्र।
7-साबुत सुपारी।
8-दूर्वा।
9-कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के।
10-पंचरत्न।
11-अशोक या आम के 5 पत्ते।
12-कलश ढकने के लिए मिटटी का दीया।
13-ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल।
14-पानी वाला नारियल।
15-नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा।
16 – अखंड ज्योति (एक ऐसा दीपक जिसको आप १० दिन तक जला सके, इस बात का ध्यान रहे की दीपक बुझे नहीं इससे आपके घर में एक दिव्य वातावरण पैदा होगा)
कलश के चारों ओर गीली मिट्टी लगाकर उसमें जौ बोना चाहिए। जौ चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें तत्पश्चात कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोडा सा इत्र दाल दें। कलश में पंचरत्न डालें। कलश में कुछ सिक्के डाल दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख मिट्टी/स्टील की कटोरी से बंद कर दें और उस कटोरी में चावल भर दें।
नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रख दें। नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।
अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें। अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।
नवरात्र की शुरुआत कलश स्थापना के साथ :
नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मॉ दुर्गा का पूजन व आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वह अष्टमी या नवमी के दिन उपवास रखकर हवन व कन्या पूजन कर मॉ भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।नवरात्र व्रत की शुरुआत कलश स्थापना से की जाती है। ध्यान रहे की इस बीच कलश स्थापना हो जानी चाहिए तो इसका आपको शुभ फल मिलेगा।कलश स्थापना विधि :
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।पूजन सामग्री :
1-जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र।2-जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी।
3-पात्र में बोने के लिए जौ।
4-कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
5-मोली।
6-इत्र।
7-साबुत सुपारी।
8-दूर्वा।
9-कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के।
10-पंचरत्न।
11-अशोक या आम के 5 पत्ते।
12-कलश ढकने के लिए मिटटी का दीया।
13-ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल।
14-पानी वाला नारियल।
15-नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा।
16 – अखंड ज्योति (एक ऐसा दीपक जिसको आप १० दिन तक जला सके, इस बात का ध्यान रहे की दीपक बुझे नहीं इससे आपके घर में एक दिव्य वातावरण पैदा होगा)