कहते हैं होली खेलने का असली मजा तब तक समझ नहीं आएगा जब तक आप होली बरसाने में नहीं खेलेंगे। जी हाँ पाठकों, ऐसे तो होली हिंदुस्तान के हर कोने में खेली जाती है पर मथुरा के इस ख़ास गाँव बरसाना में जो होली खेली जाती है जो विश्वप्रसिद्ध है। तो आइये जाने क्या ख़ास बात है बरसाने की होली की।
ऐसा माना जाता है कि जब नंदगांव के हुरियारों (होली खेलने वाले) को बरसाना आकर लट्ठमार होली खेलने का न्यौता दिया जाता है। इस निमंत्रण को स्वीकार करने की खुशखबरी पाकर जब पंडे नाचते-गाते बरसाना पहुंचते हैं, तो उनका लड्डुओं से स्वागत किया जाता है। लोगों में इन लड्डुओं को लपकने की होड़ मची रहती है।
पूरे देश को होली का इंतजार है। लेकिन बृज की धरती अभी से अबीर-गुलाल से रंगी हुई है। बरसाने के राधारानी मंदिर में लड्डू की होली में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु शामिल हुए और जब मंदिर परिसर में लड्डू को लपकने की जैसे होड़ मच गई। जिसने हवा में लड्डू लपक लिया वो खुद को धन्य समझता है।
बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है या लड्डूमार ?
बरसाना में रंगों के मधुर त्यौहार होली के जलसे की शुरुआत लड्डूमार होली के साथ हुई। यहां धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं के साथ आकर्षक तरीके से मनाया जाने वाला होली का त्यौहार दुनियाभर में चर्चाओं में रहता है। बरसाना के राधारानी मंदिर में जमकर लड्डुओं की वर्षा की जाती है ।ऐसा माना जाता है कि जब नंदगांव के हुरियारों (होली खेलने वाले) को बरसाना आकर लट्ठमार होली खेलने का न्यौता दिया जाता है। इस निमंत्रण को स्वीकार करने की खुशखबरी पाकर जब पंडे नाचते-गाते बरसाना पहुंचते हैं, तो उनका लड्डुओं से स्वागत किया जाता है। लोगों में इन लड्डुओं को लपकने की होड़ मची रहती है।
लड्डू के बाद लट्ठ :
नंदगांव के कान्हा के साथियों ने बरसाने आकर लट्ठमार होली खेलने पर हामी भरने और इस संदेशे को लेकर जब पंडा बरसाने पहुंचे तो उनके स्वागत में खूब लड्डुओं की बरसात की गई। इसके अलावा रसिया गान किया।पूरे देश को होली का इंतजार है। लेकिन बृज की धरती अभी से अबीर-गुलाल से रंगी हुई है। बरसाने के राधारानी मंदिर में लड्डू की होली में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु शामिल हुए और जब मंदिर परिसर में लड्डू को लपकने की जैसे होड़ मच गई। जिसने हवा में लड्डू लपक लिया वो खुद को धन्य समझता है।