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सुखी जीवन के लिए महिला और पुरुष, दोनों करें इन नियमों का पालन | Tips for a Happy Life



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 


भागती दौड़ती जिन्दगी की वजह से हर व्यक्ति के जीवन में सुख शब्द गायब सा हो गया है। इसके पीछे काफी हद तक हमारी दिनचर्या भी है। इसके साथ ही, हमारे ग्रंथों में कुछ नियम-कायदे दिए गए हैं, जिसका पालन हर महिला और पुरुष को करना चाहिए। इस लेख के जरिए  हम ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताए गए कुछ ऐसे नियम की जानकारी लेंगे, जिसका पालन करना स्त्री और पुरुष के लिए काफी जरूरी होता है।  इससे न सिर्फ घर में सुख-शांति आती है, बल्कि मां लक्ष्मी की भी कृपा हर समय बनी रहती है।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिये :


हिन्दी पंचांग के अनुसार किसी भी माह की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर पति पत्नी को आपस में संबंध नहीं बनाने चाहिए। इसके साथ ही मासांहार भोजन और किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए। दिन के समय और सुबह-शाम पूजन को भी पति-पत्नी को संबंध नहीं बनाने चाहिए। संध्या कालीन संबंध बनाने से घर में दरिद्रता आती है। ये समय पूजा पाठ का होता है। इस समय संबंध बनाने से पति-पत्नी को कई प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े भी होते हैं। दोनों को ही पराई पुरुष और स्त्री पर नजर नहीं डालनी चाहिए।

पति का आदर करें :


पत्नियों को चाहिए वे अपने पति का आदर करें।  ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जो स्त्रियां वाणी द्वारा दुख पहुंचाती हैं वे अगले जन्म में कौए का जन्म पाती हैं। पति के साथ हिंसा करने वाली स्त्री का अगला जन्म सूअर के रूप में होता है। इसलिए पति की हर आज्ञा का पालन करें।

इन बातों पर ध्यान दें :



  • मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां और शंख को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें नीचे रखने से पहले कोई कपड़ा बिछाएं या किसी ऊंचे स्थान पर रखें।
  • बुरे चरित्र वाले इंसान के साथ दोस्ती नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोगों से दोस्ती करने से गुणों का नाश होता है और व्यक्ति असफलता की ओर अग्रसर होता है।  
  • सूर्य और चंद्र को अस्त होते समय नहीं देखना चाहिए। यह अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय जरूर देखना चाहिए। इससे जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते हैं। 
  • हमें किसी भी परिस्थिति में पिता, माता, पुत्र, पुत्री, पत्नी और अपने से बड़े लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए। इनका अनादर करने से घर में महालक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। 
  • स्त्री हो या पुरुष, सुबह उठते ही इष्टदेव का ध्यान करते हुए दोनों हथेलियों को देखना चाहिए।
  • हम जब भी कहीं बाहर से लौटकर घर आते हैं तो सीधे घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। मुख्य द्वार के बाहर ही दोनों पैरों को साफ पानी से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही घर में प्रवेश करें।  



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