* यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
जल्द ही ही खुदा की इबादत का खास महीना रमजान की शुरुआत होने वाली है। २७ मई से २५ जून तक रमजान का विशेष महीना है। इस महीने ईस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले नियमित से रूप से खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। ऐसा कहा जाता है, जो भी शख्स इस महीने में नियमित रूप से रोजा रखता है और नवाज पढ़ता है, उस पर खुद की खास कृपा होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि रमजान के महीने में अल्लाह अपने बंदों पर खास करम फरमाता है और उसकी हर जायज दुआ को कुबुल करता है। रमजान में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, इसलिए खुदा की खास नेमत नसीब करने के लिए बंदे को कठोर श्रम करना होता है। पूरे दिन पानी की एक बूंद तक नहीं पीनी होती है। शाम को चांद देखकर ही रोजा खोलना होता है। रमजान का महीना खत्म होते ही ईद का उत्सव मनाया जाता है। ये ईस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का खास उत्सव होता है। इस दिन वे नए कपड़े खरीदते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
दुनिया के लिए रमजान का महीना इसलिए भी खास हैं, क्योंकि इस महीने अल्लाह ने हिदायत की सबसे बड़ी किताब यानी कुरान शरीफ का दुनिया में अवतरण शुरू किया था। रमजान का महीना तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले दस दिन अल्लाह अपने बंदों पर रहमत बरसाता है। दूसरे दस दिन गुनाहों से मुक्ति देता है और आखिरी के दस दिन अशरा दोजख की आग से निजात देता है।
सिर्फ रोजा रखने और खुदा की इबादत करने सेे ही खुदा की खास नेमत नहीं मिलती है, बल्कि इस महीने के कुछ नियम भी होते हैं, जिसको बंदे को फॉलो करने होते हैं, तभी उसे उसकी दुआ अल्लाह कबूल करते हैं। रोजा रखने वाले व्यक्ति को झूठ नहीं बोलता है और न ही किसी के पीठ पीछे चुगली करता है। किसी पर भी बुरा नजर भी नहीं डालता है। इस महीने में बंदा अपनी हर बुरा आदत का त्याग करता है और खुद को नेक इंसान बनाने की कोशिश करता है।
जल्द ही ही खुदा की इबादत का खास महीना रमजान की शुरुआत होने वाली है। २७ मई से २५ जून तक रमजान का विशेष महीना है। इस महीने ईस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले नियमित से रूप से खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। ऐसा कहा जाता है, जो भी शख्स इस महीने में नियमित रूप से रोजा रखता है और नवाज पढ़ता है, उस पर खुद की खास कृपा होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि रमजान के महीने में अल्लाह अपने बंदों पर खास करम फरमाता है और उसकी हर जायज दुआ को कुबुल करता है। रमजान में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, इसलिए खुदा की खास नेमत नसीब करने के लिए बंदे को कठोर श्रम करना होता है। पूरे दिन पानी की एक बूंद तक नहीं पीनी होती है। शाम को चांद देखकर ही रोजा खोलना होता है। रमजान का महीना खत्म होते ही ईद का उत्सव मनाया जाता है। ये ईस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का खास उत्सव होता है। इस दिन वे नए कपड़े खरीदते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
दुनिया में कुरान शरीफ का हुआ अवतरण :
होते हैं कुछ निमय कायदे :
इन बातों का रखें ध्यान :
- रोजा रखने के लिए जरूरी है कुछ खास बातों का ध्यान रख लें। इससे न सिर्फ आपकी सेहत अच्छी रहेगी, बल्कि अल्लाह भी आपकी हर दुआ कबूल करेंगे।
- रोजे के समय दिनभर भूखे प्यासे रहना होता है, इसलिए रोजा शुरू होने से पहले ही सारे सामानों की लिस्ट बना लें और घर लें आए, ताकि आप आसानी से रोजा रख सके और भूखे प्यासे धूप में भी न भटकना पड़े।
- इस महीने खुदा की इबाबत के साथ साथ नेक काम में भी अपनी भागीदारी बढ़ा दें। इससे खुदा आपकी दुआ जल्दी कबूल करेंगे।
- रोजा खोलते समय ज्यादा तला हुआ खाना खाने से परहेज करें, बल्कि लाइट और फलों को महत्व दें। इसके साथ ही, ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पिएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।