poojan vidhhi

निर्जला एकादशी के व्रत से मिलती है स्वर्ग लोक में जगह | Nirjala Ekadashi Vrat Benefits



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 


ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे पांडव एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भक्त पूरे दिन भूखा प्यासा रहता है और दूसरे दिन भोजन ग्रहण करता है। जो भी भक्त ये एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करता है, उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे  पापों का नाश होता है।

ऐसे करे व्रत की शुरुआत :


इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। उनसे प्रार्थना करनी चाहिए, हे भगवान आज मैं निर्जला होकर व्रत करूंगी/करूंगा, दूसरे दिन भोजन ग्रहण  करूंगी/करूंगा। मेरे सारे पाप नष्ट हो जाएं। इस दिन पानी से भरा कलश का दान करना चाहिए। जो भी व्यक्ति ऐसा करता है, उसे वर्षभर की एकादशी का लाभ प्राप्त होता है। ऐसा भी कहा जाता है जो मनुष्य निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं उनकी मृत्यु के समय यमदूत आकर नहीं घेरते बल्कि भगवान के दूत से पुष्पक विमान में बिठाकर स्वर्ग को ले जाते हैं। इस दिन दान पुण्य भी जरूर करना चाहिए। अन्न और अन्य चीजों का दान करना चाहिए। इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय: का जाप करना चाहिए। शाम को भजन कीर्तन करना चाहिए और जमीन पर ही सोना चाहिए।

एकादशी व्रत कथा :


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कुंती पुत्र  भीमसेन ने श्री वेदव्यासजी से कहा कि मेरे भ्राता और माता सब एकादशी का व्रत करते हैं, वे मुझे भी ये व्रत करने को कहते हैं, लेकिन मैं पूरे दिन भूखा प्यासा नहीं रह सकता है। इसलिए हे परमपूजनीय ऐसा कोई उपाय बताए, जिससे मैं बिना भूखे प्यासे रहे, एकादशी के व्रत का फल प्राप्त कर सकूं। वेदव्यास जी ने कहा कि इस व्रत में बहुत शक्ति हैं,इस व्रत को करने से व्यक्ति स्वर्ग प्राप्त करता है। तब भीम ने कहा कि मुझसे हर महीने की एकादशी का व्रत नहीं हो पाएगा। तब  श्रीलवेदव्यास जी बोले, अगर तुम सारी एकादशी नहीं कर सकते हो तो ज्येष्ठ महीने के शुल्क पक्ष की एकादशी को व्रत जरूर करो। ये व्रत निर्जला होता है। इस दिन अन्न जल का त्याग करना होता है और दूसरे दिन  प्रात: काल स्नान करके  ब्राह्मणों व परिवार के साथ अन्नादि ग्रहण करके अपने व्रत को खोलना होता है। साल में जितनी एकादशियां आती हैंं उन सब एकादशियों का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से सहज ही मिल जाता है। व्यासजी कहने लगे कि हे भीमसेन! यह मुझको स्वयं भगवान ने बताया है। इस एकादशी का पुण्य समस्त तीर्थों और दानों से अधिक है। केवल एक दिन मनुष्य निर्जल रहने से पापों से मुक्त हो जाता है।   तब भीम ने कहा कि वे एक दिन निर्जला एकादशी का व्रत जरूर करेंगें। 



About Anonymous

MangalMurti.in. Powered by Blogger.