Pilgrimage

शुरू हुई बाबा भोले की अमरनाथ यात्रा , जानिए यात्रा अमरनाथ यात्रा के कुछ रहस्य | Let's go on Amarnath Yatra



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 


हर साल की तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा की तैयारियों में भक्तजन जुट गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त अमरनाथ की यात्रा को कर लेता है, वे न सिर्फ अपने पापों से मुक्ति पाता है, बल्कि हजार गुना पुण्य भी प्राप्त करता है। इस यात्रा में हर वर्ष भक्तों कई परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद यहां अपने वाले भक्तों की तादाद में कोई कमी नहीं आती है। हर साल हजारों की संख्या में बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंच ही जाते हैं। 

ये है अमरनाथ गुफा की कहानी :


शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने इस गुफा में ही माता पार्वती को अमरनाथ की कथा सुनाई थी। इस कथा को जो भी सुनता, वे अमर हो जाता है। इसलिए अमरत्व का रहस्य कोई और न सुन सकें।  इसलिए शिव जी पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि) का परित्याग करके इन पर्वत मालाओं में पहुंचे और  गुफा में पार्वती जी को अमरकथा सुनाई। भोलनाथ ने  शिवजी ने रास्ते में सबसे पहले पहलगाम में अपने नंदी (बैल) का परित्याग किया। इसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया।  शेषनाग नामक झील पर पहुंचकर शिवजी ने अपने गले से सभी सर्पों को भी उतार दिया। अपने पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ दिया। फिर पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर भगवान शिव ने पांचों तत्वों का परित्याग किया। ऐसा बताया जाता है कि जब शिवजी माता पार्वती को ये कथा सुना रहे थे, तब  शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी इस कथा को सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए, जबकि गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है।  

ऐसे हुई गुफा की खोज :


ये पवित्र धाम हिन्दुओं के तीर्थस्थल में से एक माना जाता है, जबकि इसकी खोज एक मुसलमान गडरिए ने की थी, जिसका नाम बूटा मलिक था। वह एक दिन भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया। एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधू से भेंट हो गई। साधू ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी। घर पहुंचकर उसने कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ। उसी समय वह साधू का धन्यवाद करने के लिए गया, लेकिन वहां साधू को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया। ऐसा कहा जाता है कि हर साल रक्षा बंधन पर भगवान शिव स्वयं गुफा में प्रकट होते हैं। इसलिए ये यात्रा रक्षाबंधन से पूर्व ही खोली जाती है। 

कुछ अन्य तथ्य :


गुफा के अंदर जो शिवलिंग बनता है, वो पक्की बर्फ का होता है। जबकि गुफा के बाहर सिर्फ कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है।   प्राकृतिक हिमशिवलिंग के साथ-साथ बर्फ से ही बनने वाले प्राकृतिक शेषनाग, श्री गणेश पीठ व माता पार्वती पीठ के भी दर्शन होते हैं।



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