क्या है दुर्गा सप्तशती ?
दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र पाठ्य भाग है। इस पाठ्य पुस्तक को हम देवीमाहात्म्यम् के नाम से भी जानते हैं। इस पाठ्य की रचना 400-600 CE के मध्य संस्कृत भाषा में हुयी थी। ये मार्कंडेय पुराण का एक भाग है जिसमे 700 छंद और 13 अध्याय है। दरअसल ये कोई संस्कृत काव्य या मन्त्रों की किताब नहीं हैं।
ये पुस्तक तो उन कहानियों को उजागर करती है जिनमे धरती पर निरंतर हो रहे अत्याचारों का कोई भी पुरुष अंत नहीं कर पाता, यहाँ तक की देवता भी क्षीण दीखते है उस समय। तब जन्म होता है एक देवी का जिसका नाम है दुर्गा जो अंत करतीं है हर उस मदांध, अत्याचारी और पापी का जिसने की ब्रह्मा द्वारा रचित इस सृष्टि का विनाश चाहा था।
क्या है दुर्गा सप्तशती पढ़ने का सही तरीका ?
- सर्वप्रथम आप ये निश्चय करें की आपको पाठ 9 दिन अथवा 10 दिन का करना है। आमतौर पर लोग नवरात्र के पहले दिन से नौवें दिन तक पाठ करते है जबकि पाठ पूरे नौ दिन के बाद दसवे दिन समाप्त करना चाहिए।
- पाठ करने से पहले कुछ भी भोजन ग्रहण ना करें। अगर आप रोगी हैं तो पाठ से पहले फल खा सकते हैं।
- पाठ के दौरान नाखून काटना या बाल कटवाना वर्जित है।
- भोजन बिलकुल सात्विक करें, लहसुन और मसालेदार भोजन से बचे।
- पाठ करने से पूर्व माँ दुर्गा का एक मूर्तरूप या कोई चित्र सामने रखे, उसे चन्दन से तिलक करे, माल्यार्पण करे और धूप जलायें।
- नवरात्री के दौरान दुर्गा सप्तशती के साथ अथ-कीलकम और अर्गला-स्त्रोत्रम का भी पाठ करें।
- पाठ के समाप्त होने वाले दिन पर 9 कुंवारी कन्या को भोजन कराएँ और उन्हें उपहार दें।