कितने गजब किस्म के समाज में रहते हैं न हम | शायद इस समाज को दोमुँहा
कहना गलत नहीं होगा | बड़ी विचित्र सी उलझन है यहाँ | कभी ये इसलिए दुनिया
से खफ़ा रहते हैं की इनके देश की औरतें चाँद पर क्यों नहीं पहुँच पाती तो
अगले ही पल ये अपनी बेटी को स्कूल जाने से रोक देते हैं | ये विदेशी
फिल्मों की हीरोइनों को सिर्फ उनके आधे खुले-आधे ढ़के बदन को निहारने के लिए
देखते है पर इन्हें हिन्दुस्तान की लड़कियां स्कर्ट में बचच्लन लगती हैं |
ये सब तो थोड़ा नया सा बता दिया मैंने पर शायद आपको इस देश के उस विवाद के
बारे में नहीं पता होगा जो 400 साल पहले से चला आ रहा है |
तो कौन से विवाद की बात कर रहे हैं हम ?
भारत मंदिरों का
देश है | एक सामान्य से घर से लेकर किसी भव्य मंदिर तक हर जगह हर किसी ने
अपने-अपने इष्ट देवों की मूर्तियाँ रख रखी है | हर किसी को छूट है किसी भी
देवता की पूजा करने की | पर हिन्दुस्तान में एक ऐसा हिस्सा भी है जहाँ पर
औरतों को मंदिर में घुसने की मनाही है | और ये कोई छोटा मोटा मंदिर नहीं
है, ये है भारत का वो शहर जहाँ घरों पर ताले नहीं लगते | जी हाँ हम बात कर
रहे है शनि शिंगणापुर की |
यहाँ
महिलाओं की मंदिर में घुसकर पूजा अर्चना करने पर 400 साल से मनाही थी | पर
पिछले साल ही कोर्ट के एक एतिहासिक फैसले ने सबको आइना दिखा दिया | आइये
आपको पूरी कहानी 10 पॉइंट्स में समझाते हैं |
कब, क्या और कैसे हुआ सब ?
ये हैं शनि शिंगणापुर मंदिर जुड़ी खास बातें :
- शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनिदेव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने की इजाजत नहीं थी |
- 19 दिसंबर को भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने चबूतरे पर जाने की कोशिश की, जिसका गांव के लोगों ने विरोध किया |
- तृप्ति देसाई ने 26 जनवरी 2016 को मंदिर के चबूतरे पर जाकर परंपरा तोड़ने का ऐलान किया |
- 26 जनवरी को मंदिर से कुछ दूर पहले ही भूमाता ब्रिगेड को रोक लिया गया और कई महिलाओं को हिरासत में लिया गया |
- 27 जनवरी को तृप्ति देसाई ने राज्य के मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप की अपील की |
- 28 जनवरी को एक महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच में याचिका दायर करके मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की मांग की |
- 30 मार्च को हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा |
- 1 अप्रैल को हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया कि कोई भी महिलाओं को पूजा करने से रोक नहीं सकता. ये उनका अधिकार है |
- 3 अप्रैल को हाई कोर्ट की अनुमति के बावजूद महिलाओं को मंदिर में घुसने से रोका गया |
- 8 अप्रैल को शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने सभी को मंदिर में पूजा करने की इजाजत दे दी |