गुजरात के सोमनाथ मंदिर का निर्माण ना जाने कितने धर्मो की उत्पत्ति से पहले हुआ था | इस मंदिर का इतिहास अपने आप में हिन्दुस्तान के हर काल में बदलते चेहरे की बानगी है | ना जाने कितनी ही बार ये मंदिर मुग़ल शासकों द्वारा लूटा गया और हिन्दू शासकों द्वारा फिर से जोड़ा गया | एक आंकड़े के अनुसार आज से 7000 बी.सी पूर्व इस मंदिर का निर्माण हुआ था और तब ये मंदिर सिर्फ सोने से बना था | ऐसी मान्यता है की ये मंदिर चंद्रमा द्वारा भगवान शिव की आराधना हेतु बनाया गया था | ऐसे ही कई अनजाने रहस्य हैं सोमनाथ मंदिर के जो आज हम आपको बताएँगे आज के विशेषांक में |
सोमनाथ के 7 राज़ :
- समकालीन समय में सोमनाथ मंदिर का निर्माण 5 वर्षों में हुआ था | 1947 से 1951 तक के बीच में ये मंदिर बन कर तैयार हुआ था और इसका उद्घाटन डॉ.राजेंद्र प्रसाद द्वारा जो की भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे के द्वारा हुआ था |
- सोमनाथ मंदिर को मुग़ल सम्राटों द्वारा बार बार लूटा गया है | मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर पर 1024 में आक्रमण किया था उसके बाद सुलतान खिल्जी ने 1296 में, फिर मुज़फ्फर शाह ने 1376 में, महमूद बेगादा ने 1451 में और आखिर में औरंगजेब ने 1665 में |
- स्कंद पुराण के अनुसार जब भी धरती का पुनः निर्माण होगा तब सोमनाथ मंदिर का नाम बदल कर प्राणनाथ हो जायेगा |
- सोमनाथ मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव के चित्र के साथ-साथ भगवान् विष्णु और भगवान् ब्रह्मा के चित्र भी उकेरे गए है |
- सोमनाथ मंदिर भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है | ऐसी भी मान्यता है की यहाँ स्थपित शिव लिंग किसी खास किस्म के पत्थर का है जो की रेडियोधर्मी है जिसकी वजह से ये शिवलिंग धरती से बिना किसी संपर्क बनाये हवा में तैरता रहता है |
- सोमनाथ मंदिर ऐसी जगह स्थित है जहाँ से लेकर अंटार्टिका तक सीधाई में कोई भी और धरती का अंश नहीं है |
- हिन्दू धर्म के अलावा किसी और धर्म के लोगो को यहाँ दर्शन करने के लिए अलग से अनुमति लेनी पड़ती है | ऐसा सिर्फ सुरक्षा कारणों की वजह से है |