*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
भीमाशंकर मंदिर, ये जगह नासिक से लगभग 120 मील दूरी पर स्थित है। ये मंदिर करीब 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंक की गिनती शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंग के रूप में भी की जाती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेष बात ये हैं कि ये काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां आकर श्रद्धा भाव से बारह ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है, उसके सारे पाप दूर हो जात हैं और उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फडऩवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की।
शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म कुंभकर्ण की मृत्यु के बाद हुआ। जब उसे पता चला कि उसके पिता का वध भगवान श्रीराम ने किया है, तो वे उनका वध करने को आतुर हो गया। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उसने लोगों को और देवी-देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। उसका आतंक दिनों दिन बढऩे लगा। इस बात से परेशान होकर सभी देवी-देवता शिवजी की शरण में चले गए। भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। लड़ाई में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस को हरा दिया। भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी यहां विराजित हैं।
- भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं।
- युद्ध के बाद भगवान भोले के पसीने से यहां भीमा नदी का निर्माण हुआ। भीमा नदी दक्षिण दिशा में बहने वाली कृष्णा नदी से मिलती है।
- यह जगह पक्षी प्रेमियों को भी काफी पसंद है। इसके साथ ही यहां आने वाले भक्त यहां ट्रेकिंग का भी मजा लेते हैं।
- वैसे तो यहां सालभर ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर लोगों को पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती है। देश-विदेश से सैलानी यहां दर्शन के लिए आते हैं। इसलिए इस समय यहां विशेष बस सेवा की सुविधा दी जाती है।