*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
नासिक शहर से कुछ ही दिनों पर स्थित है त्र्यंबकेश्वर मंदिर। यहां शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंगों में श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है ये खूबसूरत मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां के ज्योतिर्लिंग में तीन मुख है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी के रूप में पूजा जाता है। पानी के ज्यादा उपयोग की वजह से अब ज्योतिर्लिंग का पहले जैसा स्वरूप नहीं रहा है। इस लिंग के चारों ओर एक रत्नजडि़त मुकुट रखा हुआ, जिसमें सोना, पन्ना समेत कई कीमती रत्न जड़े हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये मुकुट पांडवों के समय का है। अब इस मुकुट को आमजन सिर्फ सोमवार को शाम चार से पांच बजे तक ही देख सकते हैं। हर साल यहां हजारों की संख्या में भक्त अपना शीश झुकाने के लिए आते हैं और अपनी हर मनोकामना को पूर्ण पाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार गौतम ऋषि पर गौहत्या का पाप चढ़ा था, इस पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने यहां कठिन तप किया था। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसंन हुए और उन्होंने उसे पाप से मुक्ति दे दी। इसके साथ ही ऋषि ने भगवान शिव से गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए वर मांगा था। गंगा नदी के स्थान पर यहां दक्षिण दिशा की गंगा कही जाने वाली नदी गोदावरी का यहां उसी समय उद्वगम हुआ। गौतम ऋषि की प्रार्थना पर ही शिवजी यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए। भगवान शिव के तीन नेत्र है, इसी कारण भगवान शिव का एक नाम त्रयंबक भी है, अर्थात तीन नेत्रों वाला भी है। ऐसा कहा जाता है कि देव त्रयंबकेश्वर भगवान शिव प्रत्येक सोमवार के दिन अपने गांव का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए आते हैं।
नासिक शहर से कुछ ही दिनों पर स्थित है त्र्यंबकेश्वर मंदिर। यहां शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंगों में श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है ये खूबसूरत मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां के ज्योतिर्लिंग में तीन मुख है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी के रूप में पूजा जाता है। पानी के ज्यादा उपयोग की वजह से अब ज्योतिर्लिंग का पहले जैसा स्वरूप नहीं रहा है। इस लिंग के चारों ओर एक रत्नजडि़त मुकुट रखा हुआ, जिसमें सोना, पन्ना समेत कई कीमती रत्न जड़े हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये मुकुट पांडवों के समय का है। अब इस मुकुट को आमजन सिर्फ सोमवार को शाम चार से पांच बजे तक ही देख सकते हैं। हर साल यहां हजारों की संख्या में भक्त अपना शीश झुकाने के लिए आते हैं और अपनी हर मनोकामना को पूर्ण पाते हैं।
ऐसा हुआ इस मंदिर का निर्माण :
कुछ खास बातें मंदिर के बारे में :
- इस मंदिर की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, इसका निर्माण काले पत्थरों से किया गया है।
- भगवान राम ने भी त्र्यंबकेश्वर यात्रा का उल्लेख पुराणों में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यहां श्राद्ध करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
- नदी के तट पर शनि शान्ति पूजा, त्रिपिंडी विधि पूजन और कालसर्प शान्ति पूजा भी की जाती है। मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक के लिए पंडितों की व्यवस्था होती है।
- यहां आने वाला भक्त गायों को हरा चारा खिलाना नहीं भूलता है। इस मंदिर में प्रवेश से पहले यात्री कुशावर्त कुंड में नहाते हैं। इसके साथ ही भगवान त्र्यंबकेश्वर की यहां हर सोमवार पालकी निकाली जाती है। ये पालकी की कुशावर्त ले जाई जाती है और फिर वहां से वापस लाई जाती है.
- इसी क्षेत्र में अहिल्या नाम भी है, जो गोदावरी में मिलती है। मान्यता है कि जिन दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है, वे इस नदी के संगम पर नहाते हैंं और जल्द ही संतान सुख को प्राप्त करते हैं।