हमारे देश में कई ऐसे मंदिर है, जहां आंखों से सामने लोगों को कई चमत्कार होते हुए नजर आते हैं। उन्हीं में से एक मंदिर इंदौर का देव गुराडिय़ा है। ये मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। वैसे तो शिवजी का अभिषेक दूध, दही और जल से किया जाता है। लोग अपनी भक्ति के साथ ये कार्य करते हैं, लेकिन इंदौर में स्थित इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां गौमुख से जलधारा बह रही है, जो चौबीस घंटे बाबा का जलाभिषेक करती है। दूर-दूर से लोग इस देव गुराडिय़ा
मंदिर को देखने के लिए आते हैं। यहां आने के बाद न सिर्फ शिव की भक्ति में खो जाते हैं, बल्कि अपने सभी पापों से भी मुक्ति पा लेते हैं। इस जलधारा का प्रवाह भी काफी तेज है।
प्राकृतिक रूप से आता है जल
मंदिर में शिवलिंग के ऊपर एक गौमुख बना हुआ है। इस गौमुख से बारह महीने जल की धारा बहती रहती है। कितनी भी गर्मी क्यों न हो, ये जलधारा कभी नहीं सूखती है। ये जल की धारा कहां से आ रही है, इस बात के बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं है। मंदिर में रोज हजारों श्रद्धालु इस दृश्य को देखने के लिए आते है। वैसे तो इस मंदिर में हर दिन ही भक्तों का मेला लगा रहता है, लेकिन सावन और शिवरात्रि के दिनों में यहां का नजारा देखने लायक होता है। सिर्फ देशी पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानी भी यहां काफी संख्या में आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस जल की धारा को अपने शरीर से लगाता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और उसे शिवजी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
नजर आता है नाग नागिन का जोड़ा
इस मंदिर में बताया जाता है कि एक नाग नागिन का जोड़ा भी रहता है। लेकिन ये जोड़ा हर किसी को नजर नहीं आता है। कभी ये जोड़ा पानी के कुंड में तो कभी मंदिर परिसर में घूमता हुआ नजर आता है। विशेष बात तो ये है कि ये नाग-नागिन का जोड़ा कभी भी किसी व्यक्ति को कोई हानि नहीं पहुंचाता है। जिस भक्त को भी ये जोड़ा नजर आता है उसकी हर मनोकामना शीघ्र पूरी होती है।
नहीं सूखते हैं कुंड
इस मंदिर के आस-पास काफी कुंड बने हुए हैं। ये कुंड कभी नहीं सूखते हैं। पूरे गांव को यही से ही पानी की सप्लाई की जाती है। इस जल कुंड का पानी ही गौमुख से आता है।
इसलिए कहा जाता है देव गुराडिय़ा
इस मंदिर का निर्माण कैसा हुआ, इसके पीछे भी एक कथा है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने इस जगह पर शिवजी की कठोर भक्ति की थी। तब इस जगह भगवान शिवजी ने गरुड़ को दर्शन दिए थे और इस जगह इस मंदिर का निर्माण हुआ।