नागपंचिमी पर नागों की विशेष पूजा का महत्व:-
मित्रों वैसे तो आप सभी लोग भली भांति जानते हैं कि हमारे देश में वेद शास्त्रों और सनातन धर्म के अनुसार नागों और सर्पों को देवता तुल्य माना गया है ! हमारे धर्म में जहाँ एक ओर भगवान् श्री विष्णु नारायण का सम्बन्ध भी शेष नाग के साथ है और माना जाता है की शेष नाग की ही शैया पैर भगवान् विष्णु जी माँ लक्ष्मी जी के साथ विराजमान हैं और साथ ही भगवान् भोलेनाथ भी अपने गले में नाग को विराजते हैं ! और हमारे धर्म में अनगिनत कहानियाँ और किवदंतियाँ नागों व सर्पों के बारे में प्रचिलित हैं ! पर क्या आप जानते हैं कि नागपंचिमी पर नागों और सर्पों की विशेष पूजा का क्या महत्व है ? जी हाँ आज हम आपको बताने जा रहे है कि किस विधी से नागों की इस विशेष पर्व पर विधि विधान से पूजा करके आप अपने सभी दुखों से छुटकारा पा सकते हैं !
कब से हुई नागों को पूजने की परंपरा की शुरआत?:-
वैसे तो हमारे हमारे देश के अलग अलग स्थानों व प्रांतों पर अलग अलग रस्मों रिवाजों के हिसाब से नागों की पूजा की जाती है किन्तु नागपंचिमी के त्यौहार पर नागों की विशेष पूजा की जाती है और इसके पीछे एक अनोखी कहानी का रहस्य छिपा हुआ है जो हम आपको बताते हैं !
किसान के हल द्वारा नाग के बच्चों का कुचलना:-
कहा जाता है कि एक किसान एक गाँव में अपने दो पुत्र व एक पुत्री के साथ रहता था तथा खेत में हल जोतते समय नाग नागिन के तीन बच्चे कुचल कर गए और नागिन काफी विलाप करने लगी और उसने किसान से बदला लेने का संकल्प लिया!
नागिन का डसकर बदला लेना:-
और रात्रि में किसान के घर जाकर किसान और उसकी पत्नी व दोनों पुत्रो को डस लिया और अगली सुबह जब पुत्री को डसने के लिए आयी तो पुत्री ने नागिन के सामने एक दूध का कटोरा रख दिया और हाथ जोड़कर नागिन से क्षमा मांगने लगी और काफी विनती करने के बाद नागिन को पुत्री पर दया आ गयी !
नागिन का प्रसन्न होकर वरदान देना:-
नागिन ने प्रसन्न होकर किसान और उसकी पत्नी व दोनों पुत्रो को पुनः जीवित कर दिया और वरदान दिया कि जो भी आज के दिन नागों को दूध पिलाकर उनकी पूजा करके जो भी मन्नत मांगेगा उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी ! और उस दिन श्रावण की शुक्ल पक्ष की पंचमी थी ! और जब से ही हर वर्ष इसी तिथि को नागपंचिमी के नाम से जाना गया और सभी सनातन धर्म के अनुयायी इस दिन नागों को दूध पिलाकर पूजते है!
क्या है नागों की पूजा करने की सही विधी :-
नागपंचमी पर शास्त्रों में नागों की पूजा कीअनेक विधियाँ बताई गयी हैं लेकिन सबसे अच्छी व कारगर विधि है कि सबसे पहले प्रातः काल उठकर नित्यकर्म से फारिग होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर नाग पूजन के लिए सेवई व चावल शुद्ध दूध में पकायें ! इसके बाद पूजा के लिए गेरुआ रंग से दीवार को पोतकर कच्चे दूध में कोयला घिस कर उससे एक घर की आकृति बनाये और अनेक जोड़े नाग नागिन के चित्र की आकृति बनाये! फिर दीवार पर बनाये गए नागो को दूध, कुशा, गंध, रोली और चावल आदि से नागों को पूजकर उन्हें सेवियो और चावल की खीर से भोग लगाते हैं! और बाद में आरती करके कथा को कहते हैं !