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जानिए किस शिवलिंग का आकार स्वयं बढ़ जाता है प्रतिवर्ष! Know which Sivaling size increases automatically every year



जानिए किस शिवलिंग का आकार स्वयं बढ़ जाता है प्रतिवर्ष:


प्रिय दोस्तों आपने भगवान् भोले नाथ के मंदिरों में शिवलिंग के दर्शन तो अवश्य किए होंगे और उनसे सम्बंधित बहुत सी कहानियाँ भी अवश्य ही सुन रखी होंगी ! किन्तु क्या आपने पहले कभी एक ऐसे शिवलिंग के बारे में सुना है जो की स्वंय ही प्रतिवर्ष अपना आकार बढ़ा लेता है और प्रत्येक वर्ष इसका आकार लगभग 6 से 8 इंच बढ़ता ही जा रहा है ! आज हम आपको एक ऐसे ही अदभुत शिवलिंग के रहस्य के बारे में बता रहे हैं !

कैसे हुई इस शिवलिंग की स्थापना:

बताया जाता है कि सैकड़ो वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मरोदा नामक गांव में शोभा सिंह नाम का एक चरवाहा रहता था जब वह एक दिन अपने खेत पर गया तो वहा देखा कि एक प्राकर्तिक रूप से  शिवलिंग के आकार का टीला दिखाई दिया और टीले से एक सांड और एक शेर के दहाड़ने की आवाज़ आ रही है ! आवाज़ को सुनकर वह किसान भयभीत हो गया तथा गांव में जाकर सभी ग्रामीणों को बताया तो सभी ग्रामीणों ने जाकर वहाँ देखा तो उन्हें शिवलिंग के आकार के टीले के सिवाय कुछ नहीं मिला ! तब से लोग उस उस टीले को शिवलिंग का स्वरुप मानते हैं अौर उनकी पूजा करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार पहले इस शिवलिंग का आकार छोटा था परंतु समय के साथ इसकी लंबाई अौर गोलाई में वृद्धि होती गई, जो आधुनिक समय में भी बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मरौदा गांव के घने जंगलों के मध्य में स्थित इस विचित्र यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है। जिसे भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। इसे संसार का सबसे बड़ा शिवलिंग मानते हैं। इससे संबंधित अद्भुत रहस्य है कि प्रत्येक वर्ष इस शिवलिंग का आकार घटता नहीं, बल्कि बढ़ता है। प्रत्येक वर्ष सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार को इस शिवलिंग के दर्शनों हेतु और जल अर्पित करने के लिए सैकड़ों भक्त पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते हैं।



प्रत्येक वर्ष बढ़ता है इस शिवलिंग का 6-8 इंच आकार:


इस शिवलिंग के चमत्कार को देखकर लोगों के मन में उनके लिए श्रद्धा अौर विश्वास है।  शिवलिंग का आकार स्वयं बढ़ता जाता है। जमीन से इसकी ऊचांई 18 फीट अौर गोलाई 20 फीट है। प्रत्येक वर्ष इसकी ऊंचाई मापने पर पता चलता है कि इसका आकार निरंतर 6 से 8 इंच बढ़ रहा है।


पुराणों में भी मिलते है इसके साक्ष्य:

छत्तीसगढ़ी भाषा में हुंकारने की ध्वनि को भकुर्रा कहा जाता है इसलिए इस जगह का नाम भुतेश्वरनाथ, भकुरा महादेव पड़ गया। कई पुराणों में भी इसका वर्णन है। पुराणों के अनुसार इस अद्भुत अौर भव्य शिवलिंग का पूजन करने से श्रद्धालुअों की संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण होती है। यह शिवलिंग घने वन में होने के कारण भी यहां बहुत संख्यां में श्रद्धालु आते हैं। यहां से संबंधित चमत्कार के कारण ये लोगों के आकर्षण का बिंदु है। बहुत से भक्त प्रत्येक वर्ष यहां शिवलिंग के बढ़ते आकार को देखने आते हैं।



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