Kalpvriksha: Tree which fulfills all the wishes
इच्छा को पूरा करने वाला दिव्य वृक्ष|||कल्पवृक्ष एक पौराणिक वृक्ष|||
कल्पवृक्ष एक पौराणिक वृक्ष है. इच्छा को पूरी करने वाले दिव्य वृक्ष का वर्णन संस्कृत साहित्य में ऋग्वेद (1.75; 17.26)के स्रोतों में हुआ है।
एक प्राचीन हिंदू कथा में कल्पवृक्ष: का वर्णन हुआ है जिसमें बताया गया है की ये दिव्य पेड़ 'कल्पवृक्ष', पौराणिक 'इच्छा पूर्ति' पेड़ है. इसकी शाखाओं पर हर प्रकार के फल और फूल लगे है जो मनुष्य कामना करता है और पेड़ पर लगे सेब चकने मात्र से अनन्त जीवन और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया था।
जब इंद्र भगवान् ने अपना राज्य खो दिया है और वह भगवान विष्णु की मदद हासिल करने के लिए गए थे । तब भगवान विष्णु ने सागर मंथन करके अमृत बाहर निकाला और उसे इंद्र देवता को दिया जिससे वह अमर रह सके और उन्हें अपने खोये हुए राज्य हासिल करने में मदद मिले। इस समुन्द्र मंथन में कल्पवृक्ष प्रगट हुआ था जिससे सब इच्छायों की पूर्ती हो सकती है ।
इस मंथन के दौरान चौदह खजाने सागर से बाहर निकल कर आये थे। उसमे सबसे महत्वपूर्ण था कल्पवृक्ष - इच्छा को पूरा पेड़, कामधेनु - इच्छा को पूरा गाय, धनवंतरी - चिकित्सक, विष्णु का अवतार जो रोग का दुश्मन है और जिसने आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान शुरू किया है ।
समुद्र मंथन या "दूध सागर का मंथन" के दौरान कामधेनु (या 'इच्छापूरी करने वाली गाय ) और कल्पवृक्ष देवताओं के राजा इंद्र अपने स्वर्ग लेकर लौट आए।कल्पवृक्ष में मानवीय जरूरतों के लिए प्रदान करने की क्षमता है और उसे और कामधेनु में इस संसार के प्राणियों का पालन करने में सक्षम है.
बाओबाब "रसायनज्ञ ट्री" एक पेड़ जिनकी औसत जीवन 2500 साल है और ऐसी मान्यता है की ये स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाला है । भारत में इसे कल्पवृक्ष के रूप में पूजा जाता है।
उत्तरांचल के जोशीमठ में आदिगुरु शंकराचार्य के निवास में एक बडा प्राचीन बोधि वृक्ष स्थित है जिसे कल्पवृक्ष के रूप में जाना जाता है।
कुछ लोग पीपल के पेड़ को कल्पवृक्ष मानते है। कुछ व्यक्ति कल्पवृक्ष के रूप में बरगद के पेड़ को देखते है।
भारत के कुछ तटीय क्षेत्रों में नारियल के पेड़ को कल्पतरु या कल्पवृक्ष कहते हैं।
Story behind evolution of Kalpvriksha|कल्पवृक्ष के प्रगट होने के पीछे पौराणिक कथा
जब इंद्र भगवान् ने अपना राज्य खो दिया है और वह भगवान विष्णु की मदद हासिल करने के लिए गए थे । तब भगवान विष्णु ने सागर मंथन करके अमृत बाहर निकाला और उसे इंद्र देवता को दिया जिससे वह अमर रह सके और उन्हें अपने खोये हुए राज्य हासिल करने में मदद मिले। इस समुन्द्र मंथन में कल्पवृक्ष प्रगट हुआ था जिससे सब इच्छायों की पूर्ती हो सकती है ।
इस मंथन के दौरान चौदह खजाने सागर से बाहर निकल कर आये थे। उसमे सबसे महत्वपूर्ण था कल्पवृक्ष - इच्छा को पूरा पेड़, कामधेनु - इच्छा को पूरा गाय, धनवंतरी - चिकित्सक, विष्णु का अवतार जो रोग का दुश्मन है और जिसने आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान शुरू किया है ।
समुद्र मंथन या "दूध सागर का मंथन" के दौरान कामधेनु (या 'इच्छापूरी करने वाली गाय ) और कल्पवृक्ष देवताओं के राजा इंद्र अपने स्वर्ग लेकर लौट आए।कल्पवृक्ष में मानवीय जरूरतों के लिए प्रदान करने की क्षमता है और उसे और कामधेनु में इस संसार के प्राणियों का पालन करने में सक्षम है.
हमारे देश में कल्पवृक्ष| Kalpvriksha in India
बाओबाब "रसायनज्ञ ट्री" एक पेड़ जिनकी औसत जीवन 2500 साल है और ऐसी मान्यता है की ये स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाला है । भारत में इसे कल्पवृक्ष के रूप में पूजा जाता है।
उत्तरांचल के जोशीमठ में आदिगुरु शंकराचार्य के निवास में एक बडा प्राचीन बोधि वृक्ष स्थित है जिसे कल्पवृक्ष के रूप में जाना जाता है।
कुछ लोग पीपल के पेड़ को कल्पवृक्ष मानते है। कुछ व्यक्ति कल्पवृक्ष के रूप में बरगद के पेड़ को देखते है।
भारत के कुछ तटीय क्षेत्रों में नारियल के पेड़ को कल्पतरु या कल्पवृक्ष कहते हैं।
कल्पवृक्ष: सभी वृक्षो का पूर्वज । kalpvraksh tree of all trees
एक कहानी सुनने में आती है कल्पवृक्ष की. एक बार एक मुसाफिर स्वर्ग लोक में थक गया और पेड़ के नीचे आराम करने लगा. वो भूख से परेशान था. जैसे ही उसकी आँख लगी और वह उठा उसे लगा जैसे थकावट हट गयी है और उसकी भूख भी शांत हो गई. उसने भगवान् का ध्यान किआ तो ज्ञात हुआ की कापवृक्ष ने उसकी साड़ी इच्छा पूरी कर दी क्योंकि जिस पेड़ के नीचे वो लेता था वो कल्पवृक्ष था.
कल्पवृक्ष सब वृक्षो का पूर्वज है और सब पेड़ इसी से उत्पन्न हुए माने जाते है. पेड़ो की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है क्योंकि ये बिना किसी स्वार्थ के हमारा पालन पोषण करते है। ऐसी मान्यता है की कुछ पेड़ तो जो भी मनुष्य उनसे मांगता है प्रधान करते है.