क्यों करते है हम माँ महागौरी की पूजा ?
दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। इनकी आयु आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शांत मुद्रा में है।महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है। जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंत:करण देती हैं | मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं।![]() |
माँ महागौरी का दिव्य स्वरुप |
माँ महागौरी की पूजन विधि :
नवरात्र में कुछ भक्तजन नवमी को देवी पूजा करके उद्यापन करते है तो कुछ लोग अष्टमी के दिन ही देवी पूजन में विश्वास रखते है | अष्टमी के दिन पूजा करने वालो को माँ महागौरी की विशेष रूप से पूजा करनी पड़ती है |आइये जाने माँ महागौरी के पूजन की सही और सटीक विधि |
1. सर्वप्रथम माँ के पूजन की शुरुवात हम माँ के मंत्रोचार से करते है |
“सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”
2. तत्पश्चात फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग इत्यादि वस्तुओं सहित पूजा करे |
3.माँ महागौरी की प्रतिमा को जल दूध दही से स्नान करा कर वस्त्र धारण करवाए |
4. वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दूर , मेंहन्दी व काजल इत्यादि श्रंगार की वस्तुएं भेंट करें |
5. महागौरी की मूर्ति को लाल रंग के कपडे से लपेट कर उन्हें चौकी पर रखें |
6. इसके पश्चात कलश का पूजन करें और महागौरी मंत्र का उच्चारण करें |
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।