क्या था सीता और रावण का रिश्ता इस प्रश्न का उत्तर एक ग्रन्थ मे मिलता हैं। इस ग्रन्थ के अनुसार सीता और रावण का रिश्ता बहुत अनोखा था। यह अनोखा रिश्ता हैं पिता और पुत्री का। सीता जी रावण और मन्दोदरी की संतान थी। मन्दोदरी रावण की पट रानी थी। मन्दोदरी विश्व सुंदरी थी जिसको रावण ने अपने बल से जीता था। वैसे तो पिता और पुत्री का रिश्ता बहुत ही अनोखा होता हैं लेकिन यहाँ पर यह रिश्ता अनोखा नहीं था म्रत्यु का कारण था। सीता पहली संतान थी फिर भी रावण ने अपनी पुत्री को समुन्द्र में फेक दिया। ऐसा क्या कारण था जो रावण ने अपनी ही संतान को मरने के लिए समुन्द्र में फेक दिया।
क्यों और क्या श्राप दिया ब्राह्मण कन्या वेदवती ने लंकापति रावण को ?
जैसा की सब जानते हैं रावण एक दुष्ट प्रवर्ति का राक्षस था। वो अबला नारियो पर अपने बल का प्रयोग करके उनका भोग करता था। यही से एक कहानी जुडी हैं सीता जी के जन्म की। वेदवती ( लक्ष्मि जी का अवतार )नाम की एक ब्रह्मिन कन्या थी जो नदी किनारे एक आश्रम में रहती थी। वो विष्णु जी से विवाह हेतु तपस्या कर रही थी लेकिन रावण की नज़र उस ब्रह्मिन कन्या पर पड गयी रावण का मन उस कन्या पर आ गया और वो उसका भोग करने हेतु आश्रम मैं पहुच गया।
लेकिन वेदवती उसकी इस मनसा को जान चुकी थी उसने स्वयं को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया की उसकी कन्या का वर उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने अंदर समां लिया।
लेकिन वेदवती उसकी इस मनसा को जान चुकी थी उसने स्वयं को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया की उसकी कन्या का वर उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने अंदर समां लिया।
किस प्रकार हुआ माता सीता का जन्म ( जन्म कथा )
एक ऋषि एक घड़े में प्रतिदिन दूध की एक बून्द डालते थे। एक दिन ऋषि को आश्रम स दूर किसी कार्य हेतु जाना पड़ा और रावण ने उनके आश्रम पर उनकी अनुपस्थति में आक्रमण कर दिया। रावण ने उस घड़े में ऋषियों का रक्त ( खून ) भरा और लंका ले आया। उसने इस घड़े को मन्दोदरी को दे दिया और बोला की उसमे एक विशेष प्रकार का विष ( जहर ) हैं। रावण के कुकर्मो से दुखी होकर एक दिन मन्दोदरी ने उस घड़े में भरे रक्त को विष समझकर पी लिया। उस समय रावण लंका से बाहर था। घड़े में भरे रक्त को पीने से मन्दोदरी गर्भवती हो गयी। क्योंकि मन्दोदरी पतिव्रता थी तो लोगो के भय से वो तीर्थयात्रा का बहाना कर लंका से दूर चली गयी पर अपना गर्भ को भूमि में दबा दिया।
सीता वेदवती के दूसरे जन्म के रूप में जन्मी थी। जिसने रावण को श्राप दिया था की उसकी कन्या का वर ही कारण बनेगा। म्रत्यु के भय से रावण ने अपनी पुत्री को समुन्दर में फेक दिया जो समुंद्री देवी वारुणी की गोद में गयी। समन्दरी देवी वारुणी ने इस कन्या को भूमि देवी को सौप दिया।
किस प्रकार मिली माता सीता जनकपुरी के राजा जनक को धरती माता से ?
राजा जनक जनकपुरी राज्य के राजा थे उनकी पत्नी का नाम सुनैना था। राजा जनक और उनकी पत्नी सुनैना को कोई भी संतान नही थी। उनके राज्य जनकपुरी में सालो से सूखा पड़ रहा था वो इस बात से बहुत परेशान थे। तभी एक महापुरुष ने उनको बताया की अगर वो सोने के हल से राज्य की बंजर भूमि को जोते तो फसल हो सकती हैं। राजा ने उनकी बात का सम्मान करते हुए भूमि को जोतने का फैसला किया।
भूमि को जोतने के लिए राजा जनक अपने परिवार के साथ चल दिए। जब राजा जनक भूमि जोत रहे तब उन्हें एक बालक भूमि से मिला। वो एक कन्या थी और वो कन्या सीता जी ही थी। जब राजा जनक ने इस कन्या को अपने हाथो में लिया तभी उनके राज्य में वर्षा ( बारिश ) होने लगी। सब लोग बहुत खुश हुए और राजा जनक ने इस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने इस कन्या का नाम जनक की जानकी रखा। तभी से सब सीता को राजा जनक और रानी सुनैना की पुत्री के रूप में जाना जाता हैं। सीता जी को धरती माता की पुत्री भी कहा जाता हैं।