Hinduism

राधा रानी किस भक्त की बनी थी पुत्रवधू | Who was the Father in law of goddess Radha ?



राधा रानी ने किस भक्त को माना था अपना ससुर :




राधा रानी ने कृष्ण भक्त श्री गोसाई विट्ठलनाथ को अपना ससुर रूप में माना था। क्योंकि श्री विट्ठलनाथ श्री कृष्ण को अपने बालक समान प्रेम करते थे। श्री विट्ठलनाथ जी का कन्हैया के प्रति वात्सल्य भाव था। श्री विट्ठलनाथ जी कृष्ण जी के परम भक्त थे। जो शोभा श्री कृष्ण के  गोकुल में थी वही शोभा श्री विट्ठलनाथ  जी  पर भी थी। माना जाता हैं राधा रानी ने श्री कृष्ण को अपने पति रूप में माना था और श्री विट्ठलनाथ ने कृष्ण जी को अपने पुत्र रूप समझा था तो इस नाते राधा रानी ने श्री विट्ठलनाथ जी को अपने ससुर के रूप में माना था। 

मंदिर के पट स्वयं ही बन्द हो गये थे :


श्री विट्ठलनाथ जी श्री कृष्ण के दर्शन के लिए प्रतिदिन मंदिर आते थे। जब विट्ठलनाथ जी कृष्ण जी के दर्शन के मन्दिर आते थे तब मन्दिर के पुजारी  राधा रानी की तरफ पर्दा दाल देते थे। एक दिन जिस समय श्री विट्ठलनाथ जी ठाकुर जी के दर्शन के लिए मंदिर गए थे उस समय मंदिर के पुजारी मंदिर में उपस्थित नहीं थे तो राधा रानी का परदा नही गिर पाया था। जिस कारण विट्ठलनाथ जी श्री कृष्ण का दर्शन सही से नही कर पा रहे थे। उनकी इस समस्या को समझकर राधा रानी ने स्वयं ही अपनी तरफ का पट बन्द कर लिया था। राधा रानी ने दरवाजे को केवल श्री  दर्शन हेतु आये विट्ठलनाथ जी के लिए बन्द किया था। 

राधा रानी की लीला :

श्री विट्ठलनाथ के 7 पुत्र थे और 7 पुत्रवधु थी। एक दिन एक मनहारी श्री विट्ठलनाथ के द्वार पर आयी तब विट्ठलनाथ जी ने मनहारी को बोला की उनके घर पर उनकी पुत्रवधुओं को चूड़ी  पहना आये। यहाँ पर विट्ठलनाथ जी ने ये नहीं बोला था की केवल 7 पुत्रवधुओं को ही चूड़ी पहनना।


जब मनहारी विट्ठलनाथ जी के घर पर पहुँची तो उसने बोला उसको चूड़ियाँ पहनाने के लिए भेजा हैं। इतना सुनकर राधा रानी भी चूड़ियां पहनने आ गयी। जब मनहारी अपनी चूड़ियों के रूपये लेने विट्ठलनाथ जी के पास पहुँची तो उसने 8 पुत्रवधुओं की चूड़ी के रूपये मांगे। इस बात को सुनकर विट्ठलनाथ जी बोले उनके तो केवल 7 ही पुत्रवधु हैं तुमने किसको पहना दी। विट्ठलनाथ जी बात सुनकर मनहारी ने बोला उसने 8 पुत्रवधुओं को ही चूड़ियां पहनाई अगर वो झूठ बोल रही हैं तो कुछ भी सजा दे दें। तब विट्ठलनाथ जी ने मनहारी को पूरा मूल्य दे दिया। 

इस सबको देखकर रानी ने विट्ठलनाथ जी को रात्रि में उनके स्वपन में दर्शन दिये और बोला की वो 8 वीं पुत्रवधु में थी। अगर आप मुझे अपनी पुत्रवधु  मानते तो चूड़ियाँ नहीं पहनूँगी।  

राधा रानी और श्री कृष्ण की प्रेम लीला :



राधा रानी और श्री कृष्ण की प्रेम लीलाओं को कौन नहीं जनता हैं। प्रेम का अर्थ ही राधा रानी और श्री कृष्ण हैं।  कृष्ण की पत्नी नहीं थी फिर भी श्री कृष्ण के साथ प्रत्येक मंदिर में आप विराजमान हैं और श्री कृष्ण से पहले राधा रानी का नाम लिया जाता हैं। 



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