Hinduism

होली मनाने का असल कारण क्या है ? होलिका दहन या कामदेव का भस्म होना ? | What is the real reason behind Holi celebration?



होली हिन्दुस्तान का सबसे लोकप्रिय त्योहार है जिसे हर धर्म, जाति, वर्ग के लोग पूरे हर्षौल्लास के साथ मनाते हैं। होली का खुमार तो होली की तारीख से हफ्तों पहले ही चढ़ना शुरू होता है जब लोग होलिका दहन की तैयारियों में जुट जाते हैं और देखते ही देखते मोहल्ले के पार्क होलिका दहन समारोह में तब्दील हो जाते हैं। पर होली के विषय में जो रोचक और जानने लायक बात है वो ये है की इस होलिका दहन का असल कारण क्या है ? क्या होलिका दहन प्रहलाद की बुआ का जल जाना है या कामदेव का भस्म होना ? तो आइये आज के विशेषांक में ये जानते हिं की होली मनाने का असली कारण क्या है ?

तो  क्या है होली मनाने का असली कारण ?

होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ होते हैं। होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। होली के साथ भी कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। 


हमारे सभी व्रत या त्योहार चाहें वह करवाचौथ का व्रत हो या दिवाली, कहीं न कहीं वे पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता। होली की पौराणिक कथा शिव और पार्वती से भी संबंधित है। हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाए पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव, पार्वती की सहायता के लिए आए और उन्होंने अपना पुष्प बाण चलाया। भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। 


इस पर भगवान शिव को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरा नेत्र खोल दिया। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव भस्म हो गए। इसके उपरांत भगवान शिव ने पार्वती को देखा और पार्वती की आराधना सफल हुई। शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस कथा के आधार पर होली की अग्नि में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रूप से जलाकर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।



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