शनि देव को आमतौर पर शत्रु देव की तरह माना जाता है। हर किसी को लगता है की शनि देव हमेशा बुरा ही करते हैं परंतु ऐसा सच नहीं है। जितनी हानिकारक शनि की साढ़े साति है उतनी ही श्रेयस्कर उनकी दोस्ती भी है। पर फिर भी हमारे पौराणिक व्याख्यानों में कुछ ऐसी कहानियाँ मिल जाती है जिनके हिसाब से शनि देव की नज़र जिसपर भी पड़ जाती है उसका नुकसान अथवा नाश हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसी कथा सुनाने जा रहे है जो भगवान शनि की इस टेढ़ी नज़र के बारे में बताती है। तो आइये आज जानते हैं की भगवान् शनि की इस टेढ़ी नज़र के पीछे का कारण क्या है ?
क्यों है भगवान शनि की नज़र टेढ़ी ?
शनिदेव के गुस्से की एक वजह उपरोक्त कथा में सामने आयी कि अपनी माता के अपमान के कारण शनिदेव क्रोधित हुए लेकिन वहीं ब्रह्म पुराण इसकी कुछ और ही कहानी बताता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार शनिदेव भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। जब शनिदेव जवान हुए तो चित्ररथ की कन्या से इनका विवाह हुआ। शनिदेव की पत्नी सती, साध्वी और परम तेजस्विनी थी लेकिन शनिदेव भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में इतना लीन रहते कि अपनी पत्नी को उन्होंनें जैसे भुला ही दिया।
एक रात ऋतु स्नान कर संतान प्राप्ति की इच्छा लिये वह शनि के पास आयी लेकिन शनि देव हमेशा कि तरह भक्ति में लीन थे। वे प्रतीक्षा कर-कर के थक गई और उनका ऋतुकाल निष्फल हो गया। आवेश में आकर उन्होंने शनि देव को शाप दे दिया कि जिस पर भी उनकी नजर पड़ेगी वह नष्ट हो जायेगा। ध्यान टूटने पर शनिदेव ने पत्नी को मनाने की कोशिश की उन्हें भी अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन तीर कमान से छूट चुका था जो वापस नहीं आ सकता था अपने श्राप के प्रतिकार की ताकत उनमें नहीं थी। इसलिये शनि देवता अपना सिर नीचा करके रहने लगे।