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साईं बाबा के चमत्कार के वो 4 किस्से जिसे हर साईं भक्त जानना चाहेगा | The 4 great Miracles of Sai Baba



साईं भक्तों के लिये साईं बाबा से जुड़ी कोई भी कथा या चमत्कार अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण और अद्वितीय होती है। ऐसे में अगर कभी गलती से भी उनसे ऐसी कोई कहानी छूट जाय तो उन्हें दुःख होता है। इसीलिए हमारा आज का खास विशेषांक है साईं भक्तों के लिये। आज यहाँ हम आपको बताएँगे साईं बाबा के वो मशहूर 4 किस्से जिन्हें उनका हर सच्चा भक्त सुनना चाहेगा।


1. डूबते हुए बच्ची को बचाना :


एक बार 3 साल की गरीब बच्ची जिसका नाम बाबु किर्वान्द्कर कुँए में गिर जाती है और डूबने लगती है । गाँव वाले उस कुँए की तरफ भाग कर आते है और यह चमत्कार देखते है की वो बच्ची चमत्कारी तरीके से कुँए से निकल जाती है । उसके लबो  पर बस यही  नाम होता है की वो साईं बाबा की बहन  है , वो साईं बाबा की बहन है।

2. पानी से दीपक जलाना :


साईं बाबा जिन्हें रौशनी से बहुत प्यार होता है और वो दीपक जलाकर रात्रि में यह आनदं लेते थे ।
एक बार शिर्डी गावं के दूकानदार साईं बाबा को दीपक जलाने के तेल नही देते और उनसे बहाने बनाते है ।
साईं बाबा उनके इस बर्ताव से बहूत दुखी होते है । साईं बाबा अपने तेल वाले बर्तन जिसमे नगण्य तेल होता है , उसमे पानी भर के पी जाते है फिर वही पानी मूह से उसी बर्तन में निकल कर दीपकों में भर लेते है , सारी रात वो दीपक उसी तरह प्रज्वलित होते है जेसे वो घी से जल रहे हो । शिर्डी गावं के दूकानदार यह चमत्कार देखकर बहूत शर्मिंदा होते है और बाबा साईं की जय जयकार लगाते है ।

3. खेत को जलने से बचाना :


एक बात साईं बाबा अपने किसी भक्त को कहते है की तुम्हारा खेत जलने के करीब है जाओ अपना खेत संभालो । वो व्यक्ति जब जाके अपने खेत को देखता है तो वहा एक छोटी से चिंगारी उसे दिखाई देती है और तेज हवाओ से वो ज्वाला बन कर खेत लो जलाने की तैयारी में हो जाती है। वो व्यक्ति साईं बाबा को दिल से मदद के लिए पुकारता है ।साईं बाबा उसकी करुण पुकार सुनकर अपने हाथो में पानी लेकर शांति शांति के मंत्र बोल कर उस जवाला को शांत करा देते है ।

4. साईं ने किया दिव्य उदी से इलाज :


मध्यप्रदेश के हरदा गांव के एक निवासी दत्तोपंतजी सांईंबाबा के बहुत बड़े भक्त थे। वे लगभग 14 वर्ष से पेट दर्द की पीड़ा से परेशान थे।उन्होंने हर तरह का इलाज कराया लेकिन उनकी पीड़ा का समाधान नहीं हुआ। सांईंबाबा की प्रसिद्धि की चर्चा सुनकर वे भी बाबा के दर्शन के लिए शिर्डी पहुंच गए।  उन्होंने बाबा के चरणों में सिर रखकर कहा कि बाबा इस पेट दर्द ने मुझे इतना परेशान करके रख दिया है कि मैं अब दर्द सहने के लायक ही नहीं रखा। इस जन्म में मैंने कोई गुनाह नहीं किया।  हो सकता है कि यह मेरे पिछले किसी जन्म का कोई पाप हो, जो अब तक मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है। बाबा ने दत्तोपंत की ओर प्रेमपूर्ण भाव से देखकर उसके सिर पर वरदहस्त रखा और कहा कि अच्छे हो जाओगे। फिर बाबा ने उन्हें ऊदी भी दी। बाबा के आशीर्वाद और ऊदी प्रसाद से वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। फिर उन्हें भविष्य में कभी कोई रोग और शोक नहीं हुआ।  



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