*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां पूजा घर न हो। बचपन से ही हमें भगवान के प्रति श्रद्धा का भाव जगाया जाता है। प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को देवी-देवाताओं के बारे में जानकारी देते हैं। उनसे जुड़े किस्से-कहानियां सुनाते हैं। वैसे तो हर कोई व्यक्ति सुबह उठकर नित्य क्रियाओं के बाद भगवान की पूजा-अर्चना करता है। लेकिन बहुत कम लोगों को इस बारे में जानकारी होगी कि पूजा-अर्चना करने के भी कुछ नियम होते हैं। अगर हम नियमों का पालन करते हुए ईश्वर की भक्ति करते हैं, तो हम पर हर वक्त ईश्वर की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास भी होता है।
पूजन करते समय मुंह को पूर्व और उत्तर दिशा की तरफ रखना चाहिए। वैसे तो १२ बजे से पहले पूजा करनी चाहिए, लेकिन सुबह ६ से ८ बजे का समय पूजा करने का सही समय होता है। प्रतिदिन पूजन करते समय गणेश जी, शिव जी, मां दुर्गा, विष्णुजी और सूर्य भगवान का स्मरण जरूर करना चाहिए। इससे शीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है। कभी भी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए। आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। पूजा अर्चना करने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर तीन परिक्रमा भी लगानी चाहिए।
घर में मंदिर का निर्माण शौचालय के पास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही मंदिर का निर्माण ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहां दिनभर में थोड़े समय के लिए सूर्य की रोशनी पड़ती हो। बेडरूम में पूजा घर का निर्माण नहीं करना चाहिए। घर के मंदिर में बड़ी नहीं बल्कि छोटी मूर्तियां ही रखनी चाहिए।
शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां पूजा घर न हो। बचपन से ही हमें भगवान के प्रति श्रद्धा का भाव जगाया जाता है। प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को देवी-देवाताओं के बारे में जानकारी देते हैं। उनसे जुड़े किस्से-कहानियां सुनाते हैं। वैसे तो हर कोई व्यक्ति सुबह उठकर नित्य क्रियाओं के बाद भगवान की पूजा-अर्चना करता है। लेकिन बहुत कम लोगों को इस बारे में जानकारी होगी कि पूजा-अर्चना करने के भी कुछ नियम होते हैं। अगर हम नियमों का पालन करते हुए ईश्वर की भक्ति करते हैं, तो हम पर हर वक्त ईश्वर की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास भी होता है।