*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए हम न जाने कितने मंदिर में जाते हैं, पूजा अर्चना और व्रत करते हैं। लेकिन एकादशी का व्रत ऐसा है, जो व्यक्ति की हर मनोकामना को शीघ्र से शीघ्र पूरा करता है। दरअसल भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत काफी प्रिय है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से व्रत करता है और उसके नियमों का पालन करता है, उसकी न सिर्फ समस्त मनोकामना पूर्ण होती है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन चावल खाना मना है। चावल क्यों नहीं खाने चाहिए। इसके पीछे पौराणिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी है।
ऐसा माना गया है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछें वैज्ञानिक तथ्य भी है। इसके अनुसार चावल में जल की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। जबकि एकादशी व्रत में मन का सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है। एकादशी संयम और साधना का दिन है। इसलिए मन को विचलित करने वाले पदार्थ से इस दिन दूर ही रहना चाहिए।
अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए हम न जाने कितने मंदिर में जाते हैं, पूजा अर्चना और व्रत करते हैं। लेकिन एकादशी का व्रत ऐसा है, जो व्यक्ति की हर मनोकामना को शीघ्र से शीघ्र पूरा करता है। दरअसल भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत काफी प्रिय है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से व्रत करता है और उसके नियमों का पालन करता है, उसकी न सिर्फ समस्त मनोकामना पूर्ण होती है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन चावल खाना मना है। चावल क्यों नहीं खाने चाहिए। इसके पीछे पौराणिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी है।
इसलिए मना है चावल खाना :
बिना चावलों के पूजा-अर्चना अधूरी मानी जाती है, लेकिन एकादशी पर चावल खाने से पुण्य नहीं, बल्कि पाप मिलता है। हमारे ग्रंथों में इससे जुड़ी एक कथा भी है। कथा के अनुसार माता शक्ति महर्षि मेधा से क्रोध्रित हो गई थी। उनके क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने देह त्याग दी थी। उनके शरीर का अंश भूमि में समा गया। कालांतर में वही अंश जौ एवं चावल के रूप में भूमि से उत्पन्न हुआ। जब महर्षि की देह भूमि में समाई, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए इस दिन चावल एवं जौ से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।ऐसा माना गया है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछें वैज्ञानिक तथ्य भी है। इसके अनुसार चावल में जल की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। जबकि एकादशी व्रत में मन का सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है। एकादशी संयम और साधना का दिन है। इसलिए मन को विचलित करने वाले पदार्थ से इस दिन दूर ही रहना चाहिए।
ये मिलते हैं फायदे :
- जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे नियमों के साथ व्रत करता है, उसे धन सम्पति की कोई कमी नहीं रहती है। साथ ही घर में सुख का निवास होता है।
- एकादशी के दिन सुबह विष्णु जी की पूजा करते समय कुछ सिक्के भी रखें और इन्हें अपने पर्स में रखें या फिर तिजोरी में। इससे कभी भी पैसों की तंगी नहीं होगी। ध्यान रखें कि इन पैसों को खर्च नहीं करना है।
- इस दिन आंवले का रस जल में डालकर स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
- इस दिन भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध से अभिषेक करना चाहिए। इससे सारी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है।
- इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन पीले वस्त्र, पीली मिठाइया, पीला अनाज का दान करना चाहिए।
- अगर कर्ज से छुटकारा चाहते हैं तो एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर मीठा जल चढ़ाएं और शाम को दीपक। इससे कर्ज मुक्ति जल्दी मिलेगी।
- एकादशी के दिन तुलसी पर घी का दीपक जरूर प्रज्वलित करें। इससे घर में खुशियों का आगमन होता है।