*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
अक्सर मंदिर में भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खासकर विशेष अवसरों पर तो मंदिर में छप्पन भोग की झांकी सजाई जाती है। छप्पन भोग में भगवान को छप्पन तरह के व्यंजनों को भोग लगाया जाता है। वैसे भगवान को छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है, इसके पीछे भी हमारे पुराणों में एक दिलचस्प कथा का जिक्र किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार जब कान्हा अपनी मैया यशोदा के साथ गोकुल धाम में रहते थे, तब उनकी माता उन्हें दिन में आठ बार खाना खिलाती थी। एक बार इंद्रदेव ने गोकुल के निवासियों से बदला लेनेे के लिए बारिश का कहर बरपाया। बारिश से बचने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी गांववासियों की रक्षा की। सात दिन श्रीकृष्ण ने बिना कुछ खाए गांव वासियों कीरक्षा की, लेकिन जब बारिश शांत हो गयी और सारे गोकुलवासी और उनके घरवाले पर्वत के नीचे से बाहर निकल आए। इन सात दिन तक श्रीकृष्ण ने कुछ भी नहीं खाया और गोकुल के लोगों की रक्षा की। इसलिए जब बारिश शांत हुई तब यशोदा मां और सभी गोकुलवासियों ने कृष्ण जी के लिए हर दिन के आठ पहर के हिसाब से सात दिनों को मिलाकर कुल छप्पन प्रकार के ५६ पकवान बनाए।
पुराणों के अनुसार गोकुल की सभी गोपिकाओं ने एक माह तक यमुना नदी में स्नान किया और मां कात्यायनी की विशेष पूजा अर्चना की और वर के रूप में मांगा कि उन्हें कृष्ण पति रूप में प्राप्त हो। श्रीकृष्ण ने गोपियों के इस मनोकामना पूर्ती करने की आशिर्वाद दे दिया। इस उपलक्ष्य में गोपिकाओं ने श्री कृष्ण के छप्पन भोग का आयोजन किया। यहां छप्पन भोग का तात्पर्य गोपियों के छप्पन सखियां से भी है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण राधिका जी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैंद्ध उस कमल की तीन परतें होती हैं। प्रथम परत में ८ , दूसरी में १६ और तीसर में ३२ पखुडिय़ा होती है। प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं। इस तरह कुल पंखुडिय़ों की संख्या छप्पन होती है। 56 संख्या का यही अर्थ है।
हिन्दू लोग भगवान को छप्पनभोग का प्रसाद चढ़ाते हैं। इनमे निम्नलिखित भोग आते हैं।
रसगुल्ला, चंद्रकला, रबड़ी, शूली, दधी, भात, दाल, चटनी, कढ़ी, साग-कढ़ी,मठरी, बड़ा, कोणिका, पूरी, खजरा,अवलेह, वाटी, सिखरिणी, मुरब्बा, मधुर,कषाय, तिक्त, कटु पदार्थ, अम्ल, खट्टा पदार्थ,शक्करपारा,घेवर, चिला, मालपुआ, जलेबी, मेसूब,पापड़, सीरा, मोहनथाल,लौंगपूरी, खुरमा,गेहूं दलिया, पारिखा, सौंफ़लघा, लड़्ड़ू, दुधीरुप,खीर, घी, मक्खन, मलाई, शाक,शहद, मोहनभोग, अचार, सूबत, मंड़का,फल, लस्सी, मठ्ठा, पान, सुपारी, इलायची।
अक्सर मंदिर में भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खासकर विशेष अवसरों पर तो मंदिर में छप्पन भोग की झांकी सजाई जाती है। छप्पन भोग में भगवान को छप्पन तरह के व्यंजनों को भोग लगाया जाता है। वैसे भगवान को छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है, इसके पीछे भी हमारे पुराणों में एक दिलचस्प कथा का जिक्र किया गया है।
कान्हा को खुश करने के लिए बनाए गोकुलवासियों ने बनाए छप्पन भोग :
गोपियों ने मांगा मां कात्यायनी से वर :
ये चीजें चढ़ाई जाती है छप्पन भोग में :
रसगुल्ला, चंद्रकला, रबड़ी, शूली, दधी, भात, दाल, चटनी, कढ़ी, साग-कढ़ी,मठरी, बड़ा, कोणिका, पूरी, खजरा,अवलेह, वाटी, सिखरिणी, मुरब्बा, मधुर,कषाय, तिक्त, कटु पदार्थ, अम्ल, खट्टा पदार्थ,शक्करपारा,घेवर, चिला, मालपुआ, जलेबी, मेसूब,पापड़, सीरा, मोहनथाल,लौंगपूरी, खुरमा,गेहूं दलिया, पारिखा, सौंफ़लघा, लड़्ड़ू, दुधीरुप,खीर, घी, मक्खन, मलाई, शाक,शहद, मोहनभोग, अचार, सूबत, मंड़का,फल, लस्सी, मठ्ठा, पान, सुपारी, इलायची।